सभी धर्मों को समान अधिकार देने वाले देश में किसी भी व्यक्ति को अन्य धर्मों पर अनर्गल टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। संवैधानिक दायरे में रहने वाले लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हाल ही में ऐसे मामलों के कारण मुस्लिम समुदाय में नाराजगी बढ़ गई है। इसे लेकर राजधानी भोपाल में मुस्लिम महासभा ने अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन राज्यपाल को सौंपते हुए इन मामलों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मुस्लिम महासभा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मुनव्वर अली खान ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव की हेट स्पीच के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन राज्यपाल के एडीसी शशांक कुमार को राजभवन में सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि ज्ञापन में जज शेखर यादव पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में मुस्लिम समाज के खिलाफ हेट स्पीच दी और अपशब्द कहे। ऐसा बयान न्यायपालिका के सदस्य के रूप में उनके पद की गरिमा के विपरीत है और समाज में विभाजन और तनाव उत्पन्न करने वाला है।
जज शेखर यादव पर कार्रवाई की मांग
मुस्लिम महासभा मध्यप्रदेश ने ज्ञापन में जज शेखर यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए यह भी आग्रह किया है कि न्यायपालिका के सदस्यों को ऐसी बातें न करने के लिए निर्देश दिए जाएं, जो समाज में विभाजन और तनाव पैदा करें। न्यायपालिका संविधान की रक्षा करती है, और जज शेखर यादव ने भी संविधान की शपथ लेकर उच्च पद पर आसीन हुए हैं। न्यायपालिका के सदस्य के तौर पर, उन्हें ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए जो समाज में विभाजन और तनाव को बढ़ावा दें। मुस्लिम महासभा का मानना है कि न्यायपालिका को समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए, न कि तनाव और विभाजन को।
मुस्लिम महासभा की चिंता, जज शेखर यादव का बयान लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी
प्रदेश अध्यक्ष मुनव्वर अली खान ने कहा कि भारत का लोकतंत्र न्यायपालिका को चौथे स्तंभ के रूप में मानता है, जहाँ समता और समानता की शपथ ली जाती है। ऐसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन न्यायधीश का दिया गया बयान लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। मुस्लिम महासभा के कानूनी सलाहकार एडवोकेट वहीद खान ने बताया कि जस्टिस शेखर यादव के भाषण में संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन हुआ है।
अनुच्छेद 14- समानता का अधिकार – जस्टिस शेखर यादव के भाषण में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण और असमान टिप्पणियां की गईं, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।
अनुच्छेद 15- धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या भाषा के आधार पर भेदभाव का निषेध – जस्टिस शेखर यादव के भाषण में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण बयान दिए गए, जो संविधान के इस अनुच्छेद का उल्लंघन करते हैं।
अनुच्छेद 19- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार – जस्टिस शेखर यादव ने अपने भाषण में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
अनुच्छेद 21- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार – जस्टिस शेखर यादव के भाषण में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को उकसाने वाली बातें की गईं, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ हैं।
मुस्लिम महासभा द्वारा महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष ये निम्नलिखित मांगें प्रस्तुत कीं
- जज शेखर यादव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील।
- न्यायपालिका के सदस्यों को ऐसी टिप्पणियों से बचने के लिए निर्देशित किया जाए, जो समाज में विभाजन और तनाव उत्पन्न करें।
- समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
- ऐसी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति उच्च पद पर रहते हुए संविधान की गरिमा को ठेस पहुँचाने का विचार भी न करे।
- इस अवसर पर मुस्लिम महासभा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मुनव्वर अली खान, प्रदेश महासचिव इरशाद अली खान, सचिव युसुफ खान, भोपाल संभाग प्रभारी मोहम्मद कलीम खान, रमीज खान भोपाली आदि उपस्थित थे।