इस तारीख से बदल रहे है टेलीकॉम से जुड़े नियम, नए OTP स‍िस्‍टम से Cyber Fraud पर कसेगी नकेल

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भारतीय टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉर‍िटी (TRAI) ने एक अहम कदम उठाते हुए ओटीपी (One Time Password) से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य सायबर धोखाधड़ी और स्पैम मैसेजेस को रोकना है। पहले यह बदलाव 1 दिसंबर 2024 से लागू होने वाले थे, लेकिन अब इन्हें लागू करने की तारीख को 11 दिसंबर 2024 कर दिया गया है। इस बदलाव से लोगों के बीच यह अफवाह भी फैल गई थी कि ओटीपी आने में देरी हो सकती है। हालांकि, TRAI ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि ओटीपी भेजने में कोई ज्यादा देरी नहीं होगी और बदलाव का असर ज्यादा नहीं पड़ेगा।

इस तारीख से बदल रहे है टेलीकॉम से जुड़े नियम

TRAI की नई गाइडलाइंस के तहत, सभी टेलीकॉम ऑपरेटर और मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर एक मैसेज की जांच की जाए। वे यह देखेंगे कि संदेश कहां से आया है और उसकी वास्तविकता क्या है। इसके लिए डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) का इस्तेमाल किया जाएगा, जो स्पैम मैसेजेस को रोकने और संदेशों की ट्रेसबिलिटी बढ़ाने में मदद करेगा।

इसके अलावा, अब सभी व्यापारियों को अपने संदेशों के सेंडर आईडी (हेडर) और मैसेज टेम्प्लेट्स को टेलीकॉम ऑपरेटर के साथ पंजीकरण कराना होगा। यदि कोई संदेश पहले से पंजीकृत टेम्प्लेट या हेडर से मेल नहीं खाता है, तो उसे ब्लॉक किया जा सकता है या उसे और जांच के लिए भेजा जा सकता है।

नए ओटीपी सिस्टम से सुरक्षा में मिलेगा बड़ा सुधार

आज के डिजिटल युग में ओटीपी (One Time Password) एक महत्वपूर्ण सेवा बन चुका है, खासकर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, लॉगिन प्रक्रिया और ऑथेंटिकेशन के लिए। हालांकि, नए बदलावों के बाद शुरूआत में कुछ तकनीकी समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन लंबे समय में यह सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। यह नया ओटीपी सिस्टम खासतौर से स्पैम और धोखाधड़ी वाले मैसेजेस को रोकने के लिए तैयार किया गया है। इससे डिजिटल सुरक्षा में सुधार होगा और उपयोगकर्ताओं को अधिक सुरक्षित अनुभव मिलेगा।

TRAI ने स्पष्ट किया, ओटीपी में देरी का कोई खतरा नहीं

TRAI ने इस बात को स्पष्ट किया है कि नए नियमों के बावजूद ओटीपी आने में किसी प्रकार की अधिक देरी नहीं होगी। 1 दिसंबर से ये बदलाव लागू हो सकते थे, लेकिन अब 11 दिसंबर से नए नियम लागू होंगे, जिससे कि टेलीकॉम ऑपरेटर और व्यवसायों को बदलाव को सही तरीके से लागू करने का समय मिल सके। इस कदम से न केवल सायबर सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि उपयोगकर्ताओं को स्पैम और धोखाधड़ी से भी राहत मिलेगी।