एक बार फिर इंदौर में यह देखा गया की जनता की कमाई किस तरह फिजूलखर्च की जाती है। हाल ही में इंदौर यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने जिस बीआरटीएस को तोड़ने का निर्णय लिया था, अब नगर निगम द्वारा बीआरटीएस की बस लेन की कलर पेंट कराई जा रही है। दोनों तरफ के डिवाइडरों और रैलिंग पर हुए पेंट में अब तक लाखों रूपए खर्च हो चुके हैं। मगर यह सब व्यर्थ चला जायेगा क्यूंकि कोर्ट से आर्डर मिलते ही उसे तोड़ दिया जायेगा।
आपको बता दें की विजय नगर चौराहा से लेकर एलआईजी चौराहा तक यह कलर पेंट पिछले हफ़्ते ही कराया गया है, क्योकि इंदौर में इंटरनेशनल मीटिंग और स्वच्छता रैंकिंग सर्वे होने वाला है। इसी वजह से बीआरटीएस को भी सजाया जा रहा है। लेकिन यह सब तोड़ दिए जायेंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है की आखिर ये फ़िज़ूल खर्ची क्यों ?
सरकार के इस फैसले से शहर की जनता भी काफ़ी हैरान है। क्योकि यह प्रोेजेक्ट देश का पहला बीआरटीएस प्रोेजेक्ट था। इसे केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी। बता दें की 300 करोड़ रुपये इंदौर बीआरटीएस पर खर्च किये गए हैं। दरसल, बीआरटीएस तोड़ने के निर्णय से ना केवल 300 करोड़ का निर्माण टूटेगा बल्कि, शहर की लोक परिवहन व्यवस्था में काफ़ी गिरावट देखि जा सकती है। इसके अलावा लोक परिवहन व्यवस्था काफ़ी कमज़ोर भी हो जाएगी।