MBBS में प्रैक्टिकल के लिए पोती को नहीं मिली डेड बॉडी, दादा ने देहदान कर दिखाया रास्ता

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एक हैरान कर देने वाला मामला ग्वालियर से सामने आ रहा है। जहाँ चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के लिए किसान बाबूलाल राजौरिया ने अपना देहदान कर दिया। गजराराजा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में बाबूलाल राजौरिया के बेटे और पोते ने देहदान की कागजी कार्रवाई पूरी कर दी है।

आपको बता दें की चिकित्सा शिक्षा में पोती को मदद देने के लिए उन्होंने ने अपना देहदान किया। अब बाबूलाल राजोरिया का शव चिकिस्ता छात्रों की पढाई में काम आएगा। किसान बाबूलाल के बेटे और पोते ने रविवार को उनका शव गजराराजा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डा. अखिलेश त्रिवेदी को सौंप दिया।

शिक्षा में आ रही थी रुकावट, डेड बॉडी की कमी से परेशान थी पोती

दरसल, बाबूलाल की पोती पारुल को चिकित्सा में प्रैक्टिकल के लिए डेड बॉडी नहीं मिली थी जिस वजह से उन्होंने यह कदम उठाया। बता दें की पारुल विदिशा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। राजौरिया की पार्थिव रविवार को निधन के बाद गजराराजा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया और वहां के एनाटोमी विभाग को सौंप दिया गया।

अब तक 53 देहदान

बता दें की किसान बाबूलाल राजोरिया के देहदान को मिलाकर गजराराजा मेडिकल कॉलेज में अब तक 53 देहदान किये जा चुके हैं। इसके बाद कॉलेज के एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष ने कहा की देह के जरिये चिकित्सा छात्रों की पढाई में काफ़ी मदद मिलती है। वे शरीर शरीर की संरचना को समझते हैं। देहदान को लेकर अब लोग भी काफी जागरूक हो रहे हैं।