शहर को बचा लिया मनीषसिंह जी

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इंदौर। इंजेक्शन की कालाबाज़ारी में कौन लोग शामिल रहे❓कैसे मरीजो को बेड तक नही मिल रहे थे परिजन हताश ओर निराश हो कालाबाजारियों की ओर एक एक “रेमडीसीवीर ओर टोसिलिजुमेब” के लिए हर कीमत में खरीदने के लिए मजबूरन राजी हो रहे थे,
कलेक्टर मनीषसिंह ने इन अव्यवस्था के चलते कई बार जिम्मेदारों पर कठोर कदम भी उठाए,,चेतावनी भी दी, कालाबाजारियों पर रासुका तक कि कार्यवाही की,, पर क्या हुआ वही ना.

“ढाक के तीन पात””

मरीजो के परिजनों के फोन तक कोई अधिकारी, स्वास्थ अधिकारी उठाने में अपनी तोहीन समझ रहे थे,,वही नेतागण आपदा प्रबंधन के बहाने सिर्फ कोरोना कर्फ्यू ओर जनता के कामकाज कैसे बंद हो पर अपनी राय दे रहे थे। आक्सीजन की कमी के चलते बमुश्किल एक टैंकर क्या आया आपदा उत्सव में परिवर्तित हो गई, इन्ही लापरवाही के चलते अस्पतालों में बेड नही मिलने से मरीज उपचार के अभाव में सड़क पर दम तोड़ने पर मजबूर हो रहे है, परिजन अपनो की लाशें ढोने के साथ अस्पताल प्रबंधन से लेकर सरकार की लापरवाही पर बेबस होकर मातम मनाने पर मजबूर थे,,उनकी इस मजबूरी को आज भी नजर अंदाज किया जा रहा है। इन्ही सबके चलते सिर्फऔऱ सिर्फ कलेक्टर मनीषसिंह ही फोन उठा रहे थे और सांत्वना के साथ मरीज को प्रॉपर इलाज करवा रहे थे, इसके उदाहरण है मेरे पास, जब कोई अधिकारी किसी बेबस का फोन रिसीव न कर रहा था,, तब तब उसके बाद एकमात्र मनीषसिंह ही उन्हें आशा की किरण नजर आ रहे थे।

आज दुःख इस बात का है कि एक आईएएस अधिकारी मनीषसिंह को उन लोगो के सामने नतमस्तक होना पड़ा जो काम के प्रति शायद लापरवाह रहे !

खेर मनीषसिंह जी ने इन सब घटनाओं पर खेद प्रकट कर विराम लगा दिया, पर इन सबके बावजूद आज माँ अहिल्या की नगरी शर्मिंदा है।

#साधुवाद
कलेक्टर साहब आपने अपनी सवेदनशीलता का परिचय देकर बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते मौत के ढेर पर बैठे शहर को एक ओर तांडव से बचा लिया

●अशोक शर्मा✍️
सीनियर जर्नलिस्ट,