इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, जिसमें इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने 1,600 से ज्यादा हमले किए हैं। इन हमलों के चलते पूरा लेबनान तबाह हो गया है, और इसे 1990 के बाद से लेबनान पर इजरायल का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।
भारी जनहानि
इस हमले में 492 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जबकि करीब 2,000 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया है कि उनका इरादा लेबनानी जनता को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया है।
हमले से पहले ही नागरिकों से आग्रह किया गया था कि वे हिजबुल्लाह के ठिकानों से दूर चले जाएं। इसके बावजूद, हवाई हमले से पूरे दक्षिणी लेबनान में हाहाकार मच गया है।
इजराइल की जवाबी कार्रवाई
इजराइल ने हिजबुल्लाह द्वारा किए गए पहले हमले का तुरंत जवाब दिया, जिसमें हिजबुल्लाह के भूमिगत ठिकानों और मिसाइल लॉन्चिंग स्थलों को नष्ट कर दिया गया। इजराइल के इस हमले ने हिजबुल्लाह के लड़ाकों को अपने ठिकानों से भागने पर मजबूर कर दिया।
अमेरिकी प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय तनाव
अमेरिका ने इजराइल के हमलों में सीधे शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन चेतावनी दी है कि यदि इजराइल के हमले इसी स्तर पर जारी रहे, तो मध्य पूर्व में चौतरफा युद्ध की संभावना बढ़ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की चिंता
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है, और कहा है कि यह युद्ध जिस दिशा में बढ़ रहा है, उससे लगता है कि लेबनान गाजा जैसा बन सकता है।
इजराइल अब हिजबुल्लाह के प्रभाव को कमजोर करने और दक्षिणी लेबनान में अपनी रक्षा पंक्ति बनाने की योजना बना रहा है। इसके तहत नागरिकों को अलग क्षेत्रों में बसाने का भी विचार किया जा रहा है ताकि हिजबुल्लाह का नियंत्रण समाप्त किया जा सके।