विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स वायरस के इलाज के लिए एक नई वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन विशेष रूप से वयस्कों में कण्ठमाला के इलाज के लिए अनुमोदित की गई है। WHO के अनुसार, यह कदम अफ्रीका और अन्य प्रभावित देशों में एमपॉक्स से लड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। शुरुआत में, इन देशों में इस वैक्सीन का टीकाकरण किया जाएगा, जहां एमपॉक्स का खतरा सबसे अधिक है।
वैक्सीन की आपूर्ति और वितरण
वैक्सीनेशन के लिए GAVI वैक्सीन एलायंस और यूनिसेफ इस वैक्सीन को खरीद सकते हैं, हालांकि इसकी आपूर्ति सीमित है क्योंकि वर्तमान में इसका केवल एक ही निर्माता है। WHO के महानिदेशक ने वैक्सीन की मंजूरी को एमपॉक्स के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
कांगो पर एमपॉक्स का गंभीर असर
डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के बाद, 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी। अफ़्रीका सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अधिकारियों के अनुसार, कांगो में एमपॉक्स के लगभग 70 प्रतिशत मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में देखे गए हैं। कांगो इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देश है।
भारत में मंकीपॉक्स का मामला
हाल ही में भारत में भी मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आया है। एक युवक, जो हाल ही में मंकीपॉक्स से प्रभावित देश से लौटा था, को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) में भर्ती कराया गया है। मेडिकल निदेशक सुरेश कुमार के अनुसार, मरीज की हालत में सुधार हो रहा है और उनका इलाज जारी है। मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है, जिसके दाने आमतौर पर हाथों और पैरों पर देखे जाते हैं। इस वायरस के प्रति घबराने की आवश्यकता नहीं है।
मंकीपॉक्स के मामले भारत में बढ़े
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को पुष्टि की कि यह युवक मंकीपॉक्स संक्रमण से प्रभावित देश से लौटे थे। उनकी स्थिति स्थिर है और उन्हें कोई अन्य बीमारी नहीं है। भारत में जुलाई 2022 से अब तक कुल 30 मंकीपॉक्स मामले सामने आ चुके हैं।