
सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। यह महीना भक्ति, आस्था और पूजन का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भी भक्त सावन में शिवजी की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस वर्ष सावन का शुभारंभ 11 जुलाई 2025 से हो रहा है और पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ेगा। शिवभक्त इस पूरे महीने शिवलिंग पर जलाभिषेक, व्रत और विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिनमें एक है, शिव मुट्ठी चढ़ाने की परंपरा।

क्या है शिव मुट्ठी चढ़ाने की परंपरा?
शिव मुट्ठी चढ़ाना एक पुरातन धार्मिक विधि है जिसमें भगवान शिव को पांच अलग-अलग प्रकार के अनाज अर्पित किए जाते हैं। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और विशेष रूप से सावन में इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त के जीवन से दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं।
शिव मुट्ठी में कौन-कौन से अनाज अर्पित किए जाते हैं?
अक्षत (चावल)
अक्षत यानी बिना टूटे चावल, शिवलिंग पर चढ़ाना अति पुण्यकारी माना गया है। यह शुक्र ग्रह से संबंधित होता है और इसे चढ़ाने से जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का आगमन होता है। अक्षत को शुद्ध जल से धोकर, सुखाकर अर्पित करना चाहिए।
काले तिल
काले तिल का उपयोग शिव पूजा में विशेष महत्व रखता है। यह तिल भगवान शंकर को चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है। जीवन में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं।
गेहूं
अगर आप पारिवारिक जीवन में किसी प्रकार की समस्या जैसे विवाह या संतान संबंधी अड़चनों से जूझ रहे हैं, तो शिवलिंग पर एक मुट्ठी साफ गेहूं अर्पित करना लाभकारी होता है। यह अनाज गृहस्थ सुखों में वृद्धि करता है।
हरी मूंग
हरी मूंग को बुध ग्रह से जोड़ा जाता है और यह मानसिक शांति का प्रतीक मानी जाती है। शिवलिंग पर हरी मूंग अर्पित करने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-शांति आती है।
उड़द की दाल
उड़द की दाल सावन में शिव को अर्पित करने से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दाल शनि ग्रह से संबंधित मानी जाती है और इससे जीवन की परेशानियां धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं।
शिव मुट्ठी चढ़ाने की सही विधि
शिव मुट्ठी चढ़ाने का अनुष्ठान सावन के किसी भी दिन किया जा सकता है, परंतु सोमवार का दिन विशेष फलदायी माना जाता है। इस प्रक्रिया में आपको पांचों अनाज, अक्षत, काले तिल, गेहूं, हरी मूंग और उड़द एक-एक करके अलग-अलग मुट्ठी में लेकर शिवलिंग पर अर्पित करना होता है। इन्हें एक साथ मिलाकर नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शिवजी के समक्ष एक घी का दीपक प्रज्वलित करें और अपनी मनोकामना श्रद्धा से प्रकट करें।
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