Paralympic Games 2024: पैरालंपिक 2024 में भारत का आठवां पदक, योगेश कथूनिया ने डिस्कस थ्रो में जीता सिल्वर

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Paralympic Games 2024: पेरिस में चल रहे पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारतीय एथलीटों का उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी है। निशानेबाजी और बैडमिंटन के साथ-साथ एथलेटिक्स में भी भारत ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस बार भारतीय एथलीट योगेश कथुनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो एफ-56 वर्ग में रजत पदक जीतकर भारत की झोली में आठवां पदक डाला है। यह योगेश का लगातार दूसरा पैरालंपिक खेल है जिसमें उन्होंने सिल्वर मेडल जीता है।

पहले प्रयास में 44.22 मीटर का थ्रो

योगेश कथुनिया ने पेरिस के स्टेड डी फ्रांस में आयोजित एफ-56 श्रेणी डिस्कस थ्रो स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही 44.22 मीटर का थ्रो किया, जो कि पदक जीतने के लिए पर्याप्त था। इस थ्रो के साथ उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में भारत को एक और सफलता दिलाई।

लगातार दूसरे पैरालंपिक में रजत पदक

योगेश का यह रजत पदक लगातार दूसरे पैरालंपिक खेलों में आया है। इससे पहले, उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2021 में भी इसी वर्ग में रजत पदक जीता था। हालांकि, टोक्यो में उन्होंने 44.38 मीटर के साथ पदक जीता था, लेकिन पेरिस में भी उन्होंने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को प्रभावित किया।

एथलेटिक्स में भारत का चौथा पदक

इस साल पेरिस पैरालंपिक में एथलेटिक्स में भारत का यह चौथा पदक है। इससे पहले, प्रीति पाल ने 100 मीटर और 200 मीटर की श्रेणी में कांस्य पदक जीते थे। इसके अतिरिक्त, पुरुषों की ऊंची कूद में निशाद कुमार ने भी रजत पदक जीता था, जो कि लगातार दूसरे पैरालंपिक में रजत था। अब योगेश ने भी अपनी सफलता को दोहराया है।

कथुनिया की प्रेरणादायक यात्रा

योगेश कथुनिया की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है। हरियाणा के बहादुरगढ़ से संबंध रखने वाले योगेश को 9 साल की उम्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का सामना करना पड़ा, जिससे उन्हें लकवा मार गया। उनकी मां, मीना देवी ने खुद को फिजियोथेरेपी में प्रशिक्षित किया और वर्षों की मेहनत से अपने बेटे की मांसपेशियों को ताकत दी। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई के दौरान, उन्हें पैरा-एथलेटिक्स में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। 2017 में, योगेश ने डिस्कस थ्रो के लिए प्रशिक्षण शुरू किया और तब से उन्होंने इस खेल में लगातार भारत के लिए पदक जीते हैं।