Indore News : कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस जंग को 25 साल पूरे हो गए है। 16 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर हुए इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था और 26 जुलाई 1999 को कारगिल की चोटी पर तिरंगा लहराया था।
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर डॉ. संदीप जुल्का और हेल्थ केयर सोल्जर्स द्वारा 26 जुलाई, शुक्रवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम, खंडवा रोड पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में वीर सपूतों को श्रृद्धांजति दी गई और नाटक के जरिए उनकी वीरगाथा का वर्णन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत त्रिशा सेनी द्वारा गणेश वंदना से की गई।
नाटक
इसके बाद कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए नाटकों का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले कैप्टन सौरभ कालिया का किरदसर डॉ. संदीप जुल्का ने निभाया। वह करगिल युद्ध के पहले शहीद हैं, जिनके बलिदान से करगिल युद्ध की शुरुआती इबारत लिखी गई। महज 22 साल की उम्र में 22 दिनों तक दुश्मन उन्हें बेहिसाब दर्द देता रहा। दुश्मनों ने उनके साथ अमानवीयता की सरी हदें पार करते हुए उनकी आंखें तक निकाल ली थी।
6 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी पोस्ट को जीतने का जिम्मा 24 साल के कैप्टन अनुज नय्यर पर था। दुश्मनों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी वे डरे नहीं और आगे बढ़ते गए। बड़ी संख्या में दुश्मनों को ढेर कर और नुकसान पहुंचाते हुए वह शहीद हो गए। इस शाहदत से उनका परिवार टूट गया। कैप्टन अनुज की दो महीने बाद ही शादी होने वाली थी। हेल्थ केयर सोल्जर्स ने नाटक के जरिए उनके परिवार की पीड़ा को बखूबी बताया।
ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव महज 16 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए थे। कारगित युद्ध में इन्हेंं टाइगर हिल्स पर कब्जा जमाने का जिम्मा दिया गया था। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन लगातार गोलीबारी कर रहे थे। योगेंद्र यादव दुश्मनों का सामना करते हुए उन्हें नुकसान भी पहुंचा रहे थे और आगे भी बढ़ ररहे थे। इस ऑपरेशन में उन्हें 15 गोलियां लगी थी। टाइगर हिल्स पर विजय प्राप्त करने पर उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। हेल्थ केयर सोल्जर्स ने यह पूरी कहानी प्रस्तुत की।
इसी तरह एनसीसी कैडेट्स ने कारगिल युद्ध के हीरों कैप्टन विक्रम बत्रा की शौर्यगाथा बताई। युद्ध के दौरान अपने सैनिकों की मदद करते समय उन्हें गोली लग गई थी और वे शहीद हो गए थे। बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन मनोज पांडे साहसपूर्वक कई हमले कर दुश्मन के चार ठिकानों पर बम की तरह बरसे। नजीता रहा कि हम कारगिल पर विजय का पताका लहरा पाए। एमपी गल्र्स बटालियन ने ‘वंदेमातरम’ गाने पर नृत्य की प्रस्तुति दी।
अचला गौड़ कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं। कर्नल हर्ष उदय सिंह गौड़ को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। वहीं, मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित होने वाले शहीद ले. गौतम जैन के माता -पिता एसपी जैन और सुधा जैन विशेष अतिथि रहे। इस दौरान बीएसएफ द्वारा बैंड की भी प्रस्तुति दी गई। फौजियों का किरदार निभाने में बीएसएफ आईजी भास्कर रावत द्वारा मदद की गई है।
आयोजक डॉ. संदीप जुल्का ने बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए कारगिल युद्ध के हीरों की वीरगाथा और शहीदों के परिवारों की स्थिति बताने की कोशिश की गई है। इस दौरान डॉ. सेलेक्सी वर्मा और कुशाग्र जैन ने रंग दे बसंती… देशभक्ति गीत की प्रस्तुति दी। इसके अलावा जीतू और रोमा उपाध्याय ने ‘इट्स हैप्पनिंग ऑनली इन इंडिया’ और वन एमपी एयर एसक्यूएन एनसीसी द्वारा भारत हमको जान से प्यारा है.. की प्रस्तुति दी गई। इससे ऑडिटोरियम में बैठे दर्शक देशभक्ति में रंग गए।
उन्होंने इन गानों पर डांस भी किया। ओलंपिक खिलाड़ी निरंजन नेगी ने डॉ. संदीप जुल्का के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से लोगों में देशभक्ति की अलख जगी रहती है। कार्यक्रम में वीर नारी अचला गौड़, शोभा, डॉली गोरिया, नेहा तोमर का सम्मान किया गया। इसके बाद सेना के अफसरों को पौधे भेंट किए गए। कार्यक्रम का संचालन रोमा उपाध्याय ने किया।