इंदौर : चौहान एवं नवीन सेन द्वारा परिवादी की गारपीट किये जाने का उपरोक्त आशय का कृत्य उनके पदीय कर्तव्यों के प्रति लापरवाही एवं उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह होना साबित पाया गया है। ऐसी स्थिति में अभियुक्तगण द्वारा किया गया कृत्य उनके पदीय कर्तव्य से बाहर किया जाना दर्शित होता है। फलतः अभियुक्तगण के उक्त कृत्य के सबंध में धारा 1197 दप्रस का सिद्धांत लागू नहीं होना स्पष्ट है।
इस प्रकार उपरोका समस्त तथ्यों एवं विधि की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए इस न्यायालय के विनम्र मतानुसार हस्तगत प्रकरण में धारा 166, 294, 323/34 भादवि के सबंध में अभियुक्त कमाक 1 लगायत 3 केमशः दिनेश वर्मा, राकेश चौहान एवं नवीन सेन के विरूद्ध कार्यवाही करने हेतु प्रथमदृष्ट्या पर्याप्त आधार दर्शित होते है।
फलतः यह आदेशित किया जाता है कि धारा 166, 294, 323/34 भादवि के अपराध के संबंध में हस्तगत प्रकरण विधि अनुसार आपराधिक पंजी एवं सीआईएस पंजी में दर्ज किया जावे।
तथापि दप्रस की धारा 204 के प्रावधान के अन्तर्गत परिवादी द्वारा तलवाना अदा करने पर अभियुकागण की उपस्थिति हेतु परिवादयत्र एवं दस्तावेजों की प्रति सहित सगरा जारी किया जावे। प्रकरण अभियुक्तगण की उपस्थिति हेतु दिनांक 8/8/24 को पेश हो।