राजकुमार जैन, स्वतंत्र लेखक
घटती हरियाली और बढ़ती जा रही रिकार्ड तोड़ गर्मी से व्यथित होकर सन 2024 के सावन माह में हम इंदौर वालों ने 51 लाख पौधे रोपकर एक नया इतिहास रच दिया है। जिसके बारे में संपूर्ण विश्व में गहन चर्चा हो रही है। यह अपने आप में एक अनोखा और अद्वितीय कारनामा है। यह सबूत है इस बात का कि यदि शीर्ष पर बैठे नेतृत्व में क्षमता और जनता में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं।
यह प्रमाण है इंदौर वालों के समर्पण का, उनके जज्बे और जूनून का। हम इंदौर वालों ने एक बार फिर दुनिया के सामने अपने आप को साबित किया है कि सफाई में 7 बार चैंपियन हम यूंही नही बन गए है। 14 जुलाई 2024 को हमारे गौरवशाली शहर इंदौर की माटी पर लाखों हाथों ने भावनाओं की स्याही से एक ऐसी अमिट इबारत लिख दी है जिसे आने वाली पीढ़िया सदियों तक गर्व से याद करेंगी।
एक बात तो है कि अपन इंदौर वालों का काम करने का एक अलग ही तरीका है। हम स्वयं अपने मुंह से नहीं बोलते बल्कि हमारा काम दुनिया के सामने बोलता है। असंभव प्रतीत होने वाले काम को जमीन पर करके दिखा देने के हमारे इस अनूठे स्टाइल ने मुंहतोड़ जवाब दिया है उन सभी लोगों को जो इस वृहद वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत में इसकी सफलता पर तरह तरह प्रश्न चिन्ह लगा रहे थे, शंकाए जाता रहे थे, विफल होने की भविष्यवाणी कर रहे थे। वो पूछ रहे थे कि कहां से आयेंगे इतनी विशाल संख्या में पौधे, कहां मिलेगी 51 लाख गड्ढे खोदने के लिए जमीन, कैसे इतने संसाधन जुटाए जाएंगे, पौधे लगाने वाले इतने हाथ कहां से जुटेंगे आदि इत्यादि।
आज अपने काम से, अपनी एकजुटता से हमने उन लोगों की बोलती तो बंद कर दी है लेकिन हम सभी को यह बात याद रखना है कि पौधे रोपकर अपनी पीठ थपथपाना एक अलग बात है और रोपे गए पौधों के वृक्ष बन जाने तक संतान की तरह उनका लालन पालन करना, उनकी सुरक्षा करना और खाद पानी देकर उनकी वृद्धि सुनिश्चित करना एक अलग बात है। इंदौर के जागरूक मिडिया की दाद देनी होगी कि उसने इस वृहद पौधारोपण कार्यक्रम के तुरंत बाद उनके रखरखाव का मुद्दा उठाया है, लिखा गया है कि इस विश्व रिकार्ड की सार्थकता 4 से 5 साल बाद मालूम पड़ेगी।
इन्दौरीयों के उत्साह और सम्मिलित प्रयासों से हमने एक दिन में 11 लाख से भी अधिक वृक्ष लगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के पन्नों पर अपना नाम दर्ज करवाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। ईश्वर की असीम कृपा और गगन से बरसे देवताओं के आशीर्वाद से सम्पन्न “वृक्ष लगाओ अभियान” की इस बेमिसाल सफलता के बाद, स्थानीय नेतृत्व, मिडिया, संस्थाओं और नागरिकों को अब “पौधा बचाओ – वृक्ष बनाओ” अभियान चलाने की जरूरत है।
स्थानीय स्तर पर हम सभी को अगले 4-5 साल तक इस वृक्ष बनाओ अभियान को सतत रूप से चलाने की जिम्मेदारी लेना होगी। जिस तरह स्वच्छता के जूनून के चलते हमने डस्टबिन को अपने घर में जगह दी है उसी तरह वृक्ष को परिवार का अंग मानकर अपने आंगन में जगह देनी होगी। इस काम में मिडिया महती भूमिका अदा कर सकता है, जिस तरह पौधा लगाते हुए हंसते मुस्कुराते चेहरों की फोटो छापी जाती है उसी तरह पौधे से वृक्ष बनाने की कहानी भी छापी जाना चाहिए। व्यक्तियों और संस्थाओं को उनके द्वारा रोपे गए पौधों के रखरखाव की जिम्मेदारी लेना चाहिए, आज पौधे के साथ फोटो खिंचवाई है तो कल वृक्ष के साथ भी फोटो खिंचवाना है इस बात का जूनून भी पैदा करना होगा। शहर के हित से सारोकर रखने वाले पत्रकारों और सुधि नागरिकों को पूरे शहर में मरते हुए पौधों और उसके लिए जिम्मेदारों की तस्वीर भी सतत रूप से प्रमुखता से छापना चाहिए। जिस तरह इंदौर वालों को पौधा लगाने के लिए उत्साहित किया गया था उसी तरह उस पौधे को वृक्ष बनाने के लिए भी प्रेरणा देना होगी।
वस्तुत: हर सप्ताह, हर महीने और हर साल बाद गिनती लगाने पर मालूम पड़ेगा कि 51 लाख या 51 हजार, कितने पौधों को वृक्ष बनाने में कामयाब हुए हम इंदौर वाले। जब पाँच साल बाद जीवीत और लहलहाते वृक्षों यह संख्या 51 लाख होगी तब ही यह वृहद और यादगार कार्यक्रम अपनी सार्थकता को प्राप्त करेगा और तब ही हम इंदौर वाले दुनिया के सामने शान से अपना सर उठा कर इठला सकेंगे। तब सिर्फ अपन इन्दौरी ही नहीं बल्कि सारी दुनिया कहेगी “भिया-राम”।