सांसदों का कर्तव्य संसद में लोगों का विश्वास बढ़ाना है: ओम बिरला

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18 वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसलिए संसद के सभी सांसदों का दायित्व है कि वह इसके प्रति अच्छा बर्ताव और आचरण करें जिससे देश के सभी लोगों का इसके प्रति अपना विक्ष्वास बढ़े।

संसद के निचले सदन के उप पीठासीन अधिकारी के पद को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच वार्ता विफल होने के बाद (1976) से इस पद के लिए पहला चुनाव होने के बाद पिछले महीने ओम बिरला को फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। वह चार दशकों में इस पद को संभालने वाले पहले स्पीकर भी बने।

18वीं लोकसभा के पहले सत्र की अध्यक्षता करने के कुछ दिनों बाद, बिरला ने अपने लोकसभा क्षेत्र कोटा (राजस्थान) के बूंदी में एचटी से अपनी प्राथमिकताओं, अपेक्षाओं, बहस की गुणवत्ता, चुनौतियों आदि के बारे में बात की। उन्होंने पिछले स्पीकर बलराम जाखड़ जिन्हें दो कार्यकाल मिले थे, वे पंजाब और राजस्थान (सीकर) से जीते थे। मैंने उसी राज्य (राजस्था) में (कोटा लोकसभा सीट) जीती। लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया है। प्रधानमंत्री ने मुझ पर भरोसा जताया है। एक अध्यक्ष के तौर पर मैं अपने अनुभव का इस्तेमाल नियमों और मिसालों के मामले में नए मील के पत्थर स्थापित करने के लिए करना चाहता हूं।

हमारे पास पानी की कोई कमी नहीं है। हमारे पास दो राष्ट्रीय उद्यान भी हैं। हम कोटा-बूंदी को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास करेंगे। साथ ही, हजारों छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए कोटा आते हैं। हम यह सुनिश्चित करने की योजना बना रहे हैं कि उन्हें यहां नौकरी मिले। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। हमारे पास सबसे अच्छा संविधान है। मैं चाहता हूं कि अगले पांच सालों में संसद में लोगों का भरोसा बढ़े।