बिना लक्ष्य का जीवन पशु तुल्य होता है- आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा

Shivani Rathore
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इन्दौर। बिना लक्ष्य का जीवन पशु तुल्य होता है। पशुओं के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं होता है। लेकिन मनुष्य के जीवन का उद्देश्य या लक्ष्य होना चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उक्त विचार शुक्रवार को रतलाम कोठी स्थानक उपाश्रय में वे ऑफ गुड लाईफ विषय पर आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य के तीन उद्देश्य होना चाहिए। पहला पदार्थ वृद्धि, दुसरा सुक्ष्म बुद्धि और तीसरा आत्मशुद्धि। उन्होंने दृष्टांत के माध्यम से समझाया कि दो लौटे हैं पहले वाले में पानी भरा है और दुसरे वाले में दुध हैं। पानी वाला लौटा अगर ढूल जाए तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन दुध का लौटा ढूल जाए तो हम चिंता में पढ़ जाएंगे। उसी प्रकार मनुष्य का शरीर पानी का लौटा हैं, दुध घी का लौटा है। शरीर की परवाह मत करो, आत्मा की चिंता करो।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी, अध्यक्ष विजय मेहता एवं अनिल रांका ने बताया कि शनिवार 6 जुलाई को रतलाम कोठी स्थानक में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा प्रात: 9.15 से 10.15 तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे इसके पश्चात महामांगलिक का कार्यक्रम होगा।