युगपुरुष धाम आश्रम में बच्चों की मौत और अनियमिता को लेकर सवालों के घेरे में अधिकारी?

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इंदौर के पंचकुई स्थित युगपुरुष धाम आश्रम में मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों की अचानक हुई मौत के बाद प्रशासन लगातार सतर्कता बरत रहा है। आश्रम की व्यवस्थाओं को लेकर संभागायुक्त दीपक सिंह ने विभिन्न विभागों के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने निर्देश दिए कि आश्रम में बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। स्वच्छता के स्तर पर रसोई, भोजन, भवन के फर्श, शौचालय, बच्चों के कपड़े, बिस्तर आदि की उचित व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए। आश्रम की साफ-सफाई के साथ-साथ स्वच्छता की कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाए। सुझावों पर शीघ्र कार्यवाही की जाय। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

आश्रम में आधारभूत सुविधा को लेकर अनियमिता

जानकारी के अनुसार, मानसिक विकलांगता के कारण कई बच्चों को उनके माता-पिता ने आश्रम में छोड़ दिया है। ये बच्चे अनेक छोटी-मोटी बीमारियों से पीड़ित हैं। प्रवेश के समय, अभिभावक आश्रम प्रबंधक को उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं। आश्रम में मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों की देखभाल के लिए देखभाल करने वालों की कमी है, जबकि नियमानुसार हर 5 बच्चों पर एक केयरटेकर होना चाहिए। यहाँ पर, हर 15-20 बच्चों पर एक ही केयरटेकर नियुक्त किया गया है। इस कारण से, बच्चों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है जब उनकी स्थिति बिगड़ती है।

महिला और बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने बताया कि आश्रम में 100 बच्चों की अनुमति है, जिनमें 50 लड़के और 50 लड़कियां हैं। कुछ समय पहले, आश्रम ने सरकार से 100 बच्चों के लिए अनुमति मांगी थी। संचालिका अनिता शर्मा ने मंगलवार को घोषणा की कि अब उन्हें 200 बच्चों को रखने की अनुमति है। हालात में बदलाव के बावजूद, आश्रम में 6 से अधिक बच्चे रह रहे हैं, जो कि संचालक द्वारा बताई गई क्षमता से अधिक हैं।

मानसिक रूप से विकलांग आश्रम के दिशानिर्देशों के अनुसार, स्थान को खुला और हवादार रखना चाहिए। युगपुरुष धाम के भवन में गाइडलाइनों के अनुसार व्यवस्थाएँ पूरी नहीं की गईं। उपस्थित बच्चों की संख्या के अनुसार स्थान की सीमा है। गाइडलाइन के अनुसार, एक हॉल या कमरे में अधिकतम 10-12 बच्चों को बिठाना चाहिए, लेकिन यहां दोगुने बच्चों को बिठाया गया। मौसम में अचानक आए बदलाव के कारण बच्चों को ठीक से हवा नहीं मिल पाई।