हमारे जीवन में वेदना ने घर कर लिया है इस वजह से संवेदना का कोई स्थान नहीं बचा। वेदना के आंसू गटर के पानी के समान होते हैं और संवेदना के आंसू इत्र की बूंद के समान होते हैं। हर मनुष्य की आँखों में कभी ना कभी आंसू आते ही हैं चाहे वह वेदना के हों या संवेदना के। वेदना के आंसू तो हमने बहुत बहाए और बहा भी रहे हैं हमारा प्रयास होना चाहिए की हमारी आँखों से संवेदना और अनुमोदना के आंसू निकलें।
उक्त विचार गुरूवार को तिलक नगर स्थित तिलकेश्वर पाश्र्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय प्रवचन श्रृंखला के द्वितीय दिवस पर आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा के शिष्य ज्ञानबोधि सूरीश्वर जी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने प्रवचन के दौरान कहा कि भगवान के शासन में वेदना के आंसू कि कोई कीमत नहीं वरन संवेदना के आंसू की कीमत होती है।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि द्वितीय दिवस पर आयोजित प्रवचन के दौरान दिलीप शाह, प्रदीप मेहता, अशोक गोखरु, दिलीप मंडोवरा, प्रमोद पोरवाल, पंकज शाह ने साधु-साध्वियों कि अगवानी की। चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी ने बताया कि शुक्रवार को आचार्य विजय कुलबोधि जी सुबह 9.15 बजे से श्रावक श्रविकाओं को महामांगलिक सुनाएंगे। वहीं इसी के साथ 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।
संलग्न चित्र- तिलक नगर स्थित तिलकेश्वर पाश्र्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर में प्रवचनों की वर्षा करते आचार्य विजय कुलबोधि सूुरीरश्वरजी मसा के शिष्य ज्ञानबोधि सूरीरश्वरजी मसा।