79 गांवों के निवेश क्षेत्र में एक मामले में दायर याचिका को हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया हैं। इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान में शामिल 79 गांव में धारा 16 के तहत दी गई मंजूरियों के खिलाफ दायर याचिका हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई हैं।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिका में कहा गया था कि नगर एवं ग्राम निवेश के अधिकारियों ने अधिकार न होने के बावजूद ले-आउट स्वीकृत कर भूमि उपयोग फ्रीज कर दिया है। अनुमति के स्थान पर केवल अभिमत जारी किया है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसके आधार पर कॉलोनी सेल ने विकास अनुमति भी जारी कर दी है। इससे स्थानीय राजस्व का नुकसान हो रहा है, साथ ही शहर का विकास भी प्रभावित हो रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र सिंह छाबड़ा और अधिवक्ता मुदित माहेश्वरी द्वारा प्रस्तुत याचिका में दावा किया गया है कि मास्टर प्लान में 79 गांवों को शामिल करने से उनकी भूमि का भू-उपयोग फ्रीज हो गया है। नियमों के अनुसार, मास्टर प्लान में भूमि का उपयोग तय होने के बाद ही ले-आउट प्लान स्वीकृत होते हैं, लेकिन संयुक्त संचालक कार्यालय ने इसे स्वीकृत कर दिया, जो उनके क्षेत्राधिकार के बाहर है। भूमि स्वामियों को जारी किए गए प्रमाण पत्र में यह दावा किया गया है कि यह अभिमत है, अनुमति नहीं। इस अभिमत के आधार पर प्रशासन ने डायवर्सन और विकास अनुमति भी जारी कर दी है। याचिका में धारा-16 के नाम पर की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है।