जल संरक्षण का सबसे बड़ा महाअभियान वंदे जलम का शुभारंभ

Shivani Rathore
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वंदे जलम महाभियान भी जन आंदोलन बनेगा – तुलसीराम सिलावट

जनभागीदारी और जनसहभागिता से सहेजेंगे भूमिगत जल – पुष्यमित्र भार्गव

इंदौर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में भी सहेजे बारिश का पानी – प्रसन्ना प्रभु

इंदौर। संस्था संघमित्र एवं विश्वम द्वारा इंदौर में जल संरक्षण के सबसे बड़े महाअभियान वंदे जलम का शुभारंभ आज रवींद्र नाट्य गृह में मंत्री तुलसीराम सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, बंगलौर के नदी संरक्षक प्रसन्ना प्रभु, संत अन्ना महाराज, सतपाल भट्ट, श्रीराम कोकजे, रामगोपालदास जी महाराज, चैतन्यदास महाराज, निहारिका शिवहरे, संदीप नरुलकर, जयसिंह जैन, पारस जैन ने दीप प्रज्वलन कर किया। मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज होने वाला है, इंदौर 10 वर्ष में जल के क्षेत्र में कहा जाने वाला है, पानी की क्या स्थिति होगी, इसका चिंतन महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने किया, वह सराहनीय है। जल के बिना हम जी नही सकते है, जल के बिना प्रगति, विकास के साथ ही किसी कार्य की कल्पना नहीं की जा सकती। स्वच्छता में इंदौर नंबर वन कैसे बना क्योंकि स्वच्छता जन आंदोलन बन गया। अब वंदे जलम महाअभियान जल संरक्षण का आंदोलन बनेगा। आज इस महाअभियान की शुरुवात संतो के आशीर्वाद से हुई है, जहां संत महात्माओं का आशीर्वाद होता है, वहा सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने कहा कि बढ़ती संख्या से तालाबों के केंचमेंट एरिया समाप्त हो गए। इसके जिम्मेदार हम सब है, हमें योजना बनाकर तालाबों के केंचमेंट एरिये को विकसित और अतिक्रमण मुक्त करना होगा, जिससे तालाबों में वर्षा जल का संरक्षण हो। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझना होगी।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर जनभागीदारी का शहर है, इसे गढ़ने का काम जनभागीदारी ने ही किया है। वंदे जलम भी जनभागीदारी और जनसहभागिता का महाभियान है, क्योंकि बंगलौर जैसी भयावह स्थिति इंदौर की न हो, क्युकी एक रिपोर्ट के अनुसार भूमिगत जल कम होने वाले शहरों में इंदौर १८ वे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि इंदौर नगर निगम का सबसे अधिक पैसा यदि खर्च होता है, वह नर्मदा का जल इंदौर तक लाने में होता है। महापौर बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती इस खर्च को कम करना और पानी के स्त्रोत बढ़ाने की थी, हमने जनभागीदारी से रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम किया था। बंगलौर में भूमिगत जल खत्म हो गया इसलिए वहा ऐसी स्थिति बनी है। इंदौर में ऐसी स्थिति नही बने इसके लिए वंदे जलम अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।

बंगलौर के नदी संरक्षणकर्ता प्रसन्ना प्रभुने कहा कि पिछले 100 सालो का एवरेज निकले तो बारिश हमेशा ओसत ही होती है। इस बारिश का मात्र 6 प्रतिशत पानी ही जमीन में जा रहा है, 94 प्रतिशत पानी बह जाता है, यदि हम 5 या 6 प्रतिशत पानी और जमीन में पहुंचा पाए तो बड़ी उपलब्धि होगी। देश में अलग अलग जगह अलग अलग संसाधन लगते है। शहर जहा जहा जगह से वहा पिट बना दे उससे बारिश का पानी हम संचय कर पाएंगे। वेल्लोर जिले में महिलाओं ने दो नदियों का संरक्षण किया जिसका जिक्र मोदी जी ने मन की बात में किया है। इंदौर से बाहर ग्रामीण भाग में फर्स्ट ऑर्डर सेकेंड ऑर्डर से बहकर पानी इंदौर की जमी में समा सके ऐसी योजना बनानी चाहिए।

अन्ना महाराज ने कहा शहर में हजार बारह सौ सार्वजनिक बोरिंग होंगे, जो निरंतर 2 घंटे से अधिक चलते है, सार्वजनिक बोरिंगों से पानी का दोहन हो रहा है, इसके लिए कोई ठोस नीति बनाए जाए। जल संरक्षण पर पी एच डी करने वाली निहारिका शिवहरे ने कहा कि जल संरक्षण हमें अपने घरों से शुरू करना है। महिलाएं पानी का सबसे अधिक इस्तेमाल करती है, उसका उपयोग सीमित मात्रा में करे। घरों में वेस्टर्न टॉयलेट यूज करते है उसकी जगह भारतीय शैली की टॉयलेट यूज करे। किचन, बाथरूम में भी हम ऐसे ही पानी बचा सकते है। छोटे छोटे तरीको में हम पानी की अधिकतम मात्रा बचा सकते है। जल संरक्षण पर काम करने वाले संदीप नरुलकर ने कहा कि इंदौर अब छोटा सा शहर नही है बल्कि 29 गांव भी इसमें शामिल है। शहर का विस्तार हो रहा है, इसलिए जल की एकीकृत व्यवस्था हो, तालाबों का हमारे पूर्वजों ने उपहार दिया था, उनका संरक्षण जरूरी है, तालाबों पर अतिक्रमण हो रहा है, शहरों की बहती हुई नदियों को पुनर जीवित करना होगा। इंदौर की आसपास की पहाड़ियों के समूह को हरियाली से ढकना होगा। जल पुनर भरण पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। जल पूर्णभरण में सबसे बड़ी चुनौती है जगह का चयन, जिस जगह रह रहे उसे समझना होगा। जल पुनः भरण और जल संरक्षण रासायनिक उत्पादों से होने वाली बातों का ध्यान रखना चाहिए।

सागर चौकसे ने कहा कि जल संरक्षण का सबसे बड़ा संरक्षण यदि है तो हमारे हाथ में है। हम अपने घर और खुद से इसके अपव्यय को रोक कर जल संरक्षण की शुरुवात कर सकते है, इसे हमारे व्यवहार में लाना है। एक एक बूंद हमारे लिए कीमती है। बच्चों में जल बचाने के संस्कार डालना चाहिए, यदि हम उन्हे संसार देंगे तो निश्चित रूप में जल की बड़ी मात्रा को हम बचा पाएंगे।

स्कूल एजुकेशन से जुड़े नागरिक ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी जगह खाली होती है, हमने अपने उपक्रम की जमीन को एक चैनल के माध्यम से एक जगह पर लाने का काम किया। इस पानी को एक ढाल के माध्यम से जगह एकत्रित कर सहजने का काम किया, गाड़ी धोने और अन्य कामों में हम इस प्रकार से पानी को सहज सकते है। स्कूलों के माध्यम से हम इस जागरूकता महाभियान को आगे बढ़ा सकते है। शलीमार पॉम्स के दत्ता जी ने कहा कि हमने हमारी टाउनशिप में बड़े बड़े गड्डे करवाकर उसमे कोयला, ईट और गिट्टी, चूरी डलवाकर वाटर हार्वेस्टिंग किया। अब हमने टैंकरों की जरूरत नहीं पड़ती। त्रिवेणी के पौधे की जड़े बहुत गहराई तक जाती है, इसकी जड़ों के माध्यम से वर्षा का जल जमीन में गहराई तक जाता है। हम वनवासी रक्षक फाउंडेशन के माध्यम से इनके पोधे बटवाते है। अब हमारे बोरीगो में पर्याप्त पानी है । छतो पर टेरेस गार्डन बनाए ताकि टेंपरेचर भी कम हो, और बारिश भी अधिक हो।

प्रमोद डफरिया ने कहा कि जो निगम ने 2 साल पहले मुहिम चलाई थी वही मुहिम चलाए, इसके माध्यम से हमने औद्योगिक क्षेत्रों में पानी संग्रहण करने का काम किया, जिससे इन क्षेत्रों में पानी के टीडीएस में भी कमी आई है।

होटल एसोसिएशन के सुमित सूरी ने कहा कि एसोसिएशन में एडवाइजरी जारी करेंगे कि होटलों में टब का इस्तेमाल करेंगे, वाटर रिचार्ज पिट को क्लीन करने, और होटलों में आने वाले आंगतुको को आधा गिलास पानी देने की एडवाइजरी जारी करेंगे।