मिथुन संक्रांति पर भुलकर भी न दे किसी को ये तीन चीजें, वरना घर में कभी नहीं आएगी समृद्धि

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना के साथ-साथ महिलाएं देवी पृथ्वी के प्रतीक स्वरूप सिलबट्टा, चक्की और खल-बट्टा (ओखली) की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इन वस्तुओं में घर का सौभाग्य और समृद्धि निहित होता है, इसलिए इस दिन इन्हें किसी को देना या उधार देना अशुभ माना जाता है।

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Mithun Sankranti 2025 : मिथुन संक्रांति भारतीय पंचांग का एक विशेष पर्व है, जो सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व होता है, लेकिन इसके साथ-साथ इस दिन कुछ खास घरेलू वस्तुओं की भी पूजा की जाती है, जिनका संबंध सीधे देवी पृथ्वी और सौभाग्य से जुड़ा माना जाता है।

विशेष रूप से महिलाएं इस दिन परंपरागत तरीके से सिलबट्टा, चक्की और खल-बट्टा (ओखली) की पूजा करती हैं। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व और उन चीजों के बारे में जिन्हें इस दिन किसी को देने की मनाही होती है।

देवी पृथ्वी की प्रतीकात्मक पूजा

माना जाता है कि मिथुन संक्रांति के दिन देवी पृथ्वी वर्षा ऋतु के स्वागत की तैयारी करती हैं। महिलाएं इस प्रतीक को समझते हुए घर में उपयोग होने वाले परंपरागत औजार जैसे सिलबट्टा, चक्की और ओखली की पूजा करती हैं। इन वस्तुओं को देवी पृथ्वी का प्रतीक मानकर उन पर मसाले पीसे जाते हैं, उन्हें साफ किया जाता है और फिर श्रद्धा से पूजा की जाती है। यह न केवल पर्यावरण और प्रकृति के साथ हमारे जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि पारंपरिक जीवनशैली का भी सम्मान है।

इन तीन वस्तुओं किसी को भूलकर भी न दें

मिथुन संक्रांति पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन इसके साथ कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो इस दिन दूसरों को देने से बचना चाहिए। मान्यता है कि इन वस्तुओं में घर का सौभाग्य और समृद्धि समाहित होती है। यदि इन्हें किसी को दे दिया जाए, तो वह सौभाग्य आपके घर से चला जाता है।

चक्की

चक्की, जो आटा पीसने के काम आती है, देवी पृथ्वी का रूप मानी जाती है। इसे घर की समृद्धि और शुद्धता से जोड़ा गया है। मिथुन संक्रांति के दिन चक्की को किसी को देना मानो अपना भाग्य ही सौंप देना है। इसलिए चाहे कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, इस दिन अपनी चक्की न दें, न ही उधार के तौर पर इस्तेमाल करने दें।

सिलबट्टा

सिलबट्टा, जो पारंपरिक मसाले पीसने का औजार है, घर के सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे किसी को देने का अर्थ है अपने गुड लक को किसी और को दे देना। विशेषकर मिथुन संक्रांति के दिन इसका दान करना वर्जित है। यह न केवल घर की सुख-शांति में बाधा बन सकता है, बल्कि भविष्य में पछतावे का कारण भी बन सकता है।

खल-बट्टा (ओखली)

खल-बट्टा या ओखली, जो कि अनाज कूटने और मसाले पीसने के पारंपरिक उपकरण हैं, इन्हें भी देवी स्वरूप माना गया है। यह घर की समृद्धि और सम्पन्नता का प्रतीक होता है। मिथुन संक्रांति के दिन इसे भी किसी को देना या उधार देना अत्यंत अशुभ माना जाता है।

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