पाकिस्तान में कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के लिए चुनाव संपंन हुआ था। इस चुनाव में पीएमएल पार्टी के गठबंधन से आसिफ अली जरदारी को उम्मीदवार बनाया गया था। वहीं अब राष्ट्रपति ने अपनी बेटी को पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी घोषित किया है। जिसे पाकिस्तान में खातून-ए-अव्वल कहा जाता है। जरदारी का ये एक सोचा-समझा कदम है। इसके पीछे की वजह उनको राजनीतिक विरासत सौंपने की कोशिश भी है।
बेटियों के लिए ज्यादा प्यार
सीएनएन-न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जरदारी का बिलावल के मुकाबले अपनी बेटियों के लिए ज्यादा प्यार है। वहीं पिता जरदारी का बिलावल से कई चीजों पर मतभेद की वजह से भी । इसी को लेकर वह चाहते हैं कि आसिफा राजनीति में आगे बढ़ें और आने वाले कुछ सालों में अपनी मां बेनजीर भुट्टो की तरह पार्टी और देश को लीड करें।
नवाज शरीफ के तर्ज कदम
जानकारी के मुताबिक नवाज शरीफ के तर्ज पर भी देखा जा रहा है। बता दें एक और बड़े राजनेता नवाज शरीफ ने अपनी बेटी मरियम को विरासत सौंपते हुए उनको पंजाब की मुख्यमंत्री बना दिया है। राष्ट्रपति जरदारी चाहते हैं कि उनकी पार्टी पीपीपी के पास भी एक मजबूत महिला नेता हो जो मरियम का मुकाबला कर सके। इसी को लेकर यह कदम उठाया है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं आसिफा
बता दें आसिफा की उम्र 31 साल की है। आसिफा ने ऑक्सफोर्ड ब्रूक्स यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। पाकिस्तान में आसिफा को पोलियो अभियान के लिए पहचाना जाता है। आसिफा भुट्टो जरदारी पोलियो उन्मूलन के लिए पाकिस्तान की राजदूत भी हैं। साथ ही वह अपने पिता और भाई के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की स्टार कैंपेनर हैं।
पत्नी बनती हैं फर्स्ट लेडी
आसिफा के प्रथम महिला बनने पर काफी बहस हो रही है। कई लोग इसका समर्थन तो कई लोग विरोध भी कर रहे हैं। आमतौर पर फर्स्ट लेडी किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पत्नी को माना जाता है। जरदारी के फैसले पर सवाल उठाने वाले कह रहे हैं कि आखिर बेटी को फर्स्ट लेडी कैसे बनाया जा सकता है। इससे एक अच्छा संदेश नहीं जाएगा। हालांकि इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है।