दर्जी ने खड़ी कर दी 17000 करोड़ की कंपनी, जानिए कैसे मिला ‘पारले जी’ नाम?

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Parle-G : पारले जी से आज सभी बाकिफ है क्योंकि ये एक ऐसा ब्रांड है, जिसने घर-घर में अपनी पहचान बनाई है। समय कितना भी बदल गया हो लेकिन पारले जी आज भी सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट है, तो चलो आज हम इसकी जर्नी के बारे है। यह कहानी है स्वदेशी कंपनी पारले और उसके संस्थापक स्वर्गीय छगनलाल भाई पटेल की।

जो 1929 में, पटेल, जो एक दर्जी थे, ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने Mumbai में एक छोटी सी कन्फेक्शनरी की दुकान खोली, जहाँ वे चॉकलेट और कैंडी बेचते थे। 1938 में, पटेल ने बिस्कुट बनाने का फैसला किया। उन्होंने ‘Parle Products’ नाम से अपनी कंपनी शुरू की और ‘Parle Gluco’ नाम का अपना पहला बिस्किट लॉन्च किया। यह बिस्किट ग्लूकोज से भरपूर था और इसे बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक पौष्टिक नाश्ते के रूप में पेश किया गया था।

1982 में, ‘Parle Gluco’ का नाम बदलकर ‘Parle-G’ कर दिया गया। ‘G’ का मतलब था ‘ग्लूकोज’। इसी साल, कंपनी ने ‘Parle-G’ के लिए एक नया पैकेजिंग भी पेश किया। पीले रंग के वैक्स पेपर में लिपटा यह बिस्कुट, एक छोटी लड़की की तस्वीर के साथ, जल्द ही भारत में सबसे लोकप्रिय बिस्कुट बन गया।

आज, ‘Parle-G’ भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट है। यह हर साल 500 करोड़ से अधिक पैकेटों में बिकता है। ‘Parle Products’ अब ₹17,000 करोड़ से अधिक की कंपनी बन चुकी है।

‘Parle-G’ नाम कैसे मिला?

‘Parle-G’ नाम के पीछे की कहानी बहुत सरल है। ‘Parle’ नाम श्री पटेल के गृह नगर, ‘Parle’, Gujarat से लिया गया है। ‘G’ का मतलब, जैसा कि पहले बताया गया है, ‘ग्लूकोज’ है।

‘Parle-G’ की सफलता के कारण

‘Parle-G’ की सफलता के कई कारण हैं। सबसे पहले, यह बिस्कुट स्वादिष्ट और पौष्टिक है। इसमें ग्लूकोज, गेहूं का आटा, चीनी और दूध होता है, जो इसे बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक आदर्श नाश्ता बनाता है।

दूसरा, ‘Parle-G’ की कीमत बहुत कम है। यह भारत में सबसे सस्ते बिस्कुटों में से एक है। यह इसे सभी वर्गों के लोगों के लिए सुलभ बनाता है।

तीसरा, ‘Parle-G’ की मार्केटिंग बहुत प्रभावी रही है। कंपनी ने कई वर्षों से कई यादगार विज्ञापन अभियान चलाए हैं, जिन्होंने ‘Parle-G’ को एक घरेलू नाम बनाने में मदद की है।