इंदौर : कोरोना संक्रमण के कारण इंदौर के डॉक्टर दीपक सिंह की कोरोना से मौत हो गई, दीपक एमवाय अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के पद पर कार्य कर रहे थे दीपक मरीजो का इलाज करते हुए कोरोना के शिकार हुए थे, और वे शनिवार को उनकी मौत हो गई, उनकी मौत के बाद एमवाय अस्पताल के अन्य डॉक्टरों ने प्रदेश सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया के द्वारा विरोध किया है
दीपक संक्रमित होने से पहले सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोविड मरीजों का उपचार कर अपनी सेवाए दे रहे थे मूलतः इंदौर के ही रहने वाले दीपक सिंह 2010 बैच के पासआऊट थेडॉक्टर दिपक सिंह के समर्थन में उनकी ही बैच के पास आउट डॉक्टरों ने सोशल मिडिया के द्वारा प्रदेश सरकार को आरोपी थराते हुए लिखा की दीपक के फेफड़े संक्रमण के कारण 80 फीसदी से ज्यादा संक्रमित हो गए थे इसके बाद भी सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया और दीपक सिंह कोरोना से लड़ते हुए शहीद हो गए है
डॉक्टर उमेश मंडलोई ने दीपक के समर्थन में अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि हमने होनहार डॉक्टर को खो दिया दीपक सिंह कोरोना से लड़ते हुए शहीद हो गए है। वे अब हमारे बीच नहीं रहे। कोरोना से लड़ते हुए आज एक और डॉक्टर की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन अभी भी खामोश है। क्या डॉक्टर इसी तरह मरने के लिए छोड़ दिया जाता है? क्या डॉक्टर के लिए प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नही है? प्रशासन की तरफ से ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी मिलने आया ना ही कोई पहल की गई। आज भी जूनियर डॉक्टर अपने साथियों के हक के लिए लड़ रहे है लेकिन प्रशासन द्वारा डॉक्टर्स को लगातार नजरअंदाज किया जाता है। प्रशासन द्वारा ना तो डॉक्टर्स को उच्च स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा जाता है ना ही मरणोपरांत डॉक्टर्स के परिजनों की की सहायता की जाती है।