इंदौर : कलेक्टर आशीष सिंह ने आज सिटी बस कार्यालय के सभाकक्ष में नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला उद्योग केंद्र, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इंदौर की नदियों एवं नालों को प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु कार्य नीति तैयार करने के विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा की। बैठक में नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह, जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशा अनुसार नदी एवं नालों को 2028 तक प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए इंदौर में एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। यह एक्शन प्लान दो भागों में बांटा जाएगा, जिसमें एक दीर्घकालीन कार्य नीति होगी तथा एक अल्पकालीन कार्य नीति होगी। उन्होंने नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह को निर्देश दिए कि नमामि गंगे एवं अमृत 2.0 योजना अंतर्गत प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के साथ ही शहर में ऐसे अन्य नाले भी चिन्हांकित किए जाएं जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जरूरत है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने निर्देश दिए कि जिले में जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पहले से कार्यरत हैं उनका भी अच्छी तरीके से संधारण किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे छोटे-छोटे नाले जिनमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा है उनकी भी टर्बिडिटी कम करने के लिए कार्य योजना बनाई जाए, साथ ही फिल्टर मीडिया आदि का उपयोग करने पर भी विचार किया जाए।
कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे सभी उद्योग जो अपशिष्ट पदार्थ तथा सीवेज को बिना उपचार सीधे नदी एवं नालों में प्रवाहित कर रहे हैं उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। इस संबंध में जिला प्रशासन जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाएगा।
ग्राम पंचायतों में लगाए जाएंगे 119 कम्युनिटी लीचपिट एवं 49 ग्रेवल फिल्टर
बैठक में जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने बताया कि इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में शिप्रा एवं कान्ह नदी के किनारे 62 ग्राम पंचायतें हैं। इन सभी ग्राम पंचायतों में 119 कम्युनिटी लीचपिट एवं 49 ग्रेवल फिल्टर लगाए जाएंगे ताकि नदी एवं नालों को प्रदूषण मुक्त बनाया जाए। इसमें प्रत्येक ग्राम के लिए अलग कार्य नीति बनाई जाएगी।
कलेक्टर आशीष सिंह ने उन्हें निर्देश दिए कि इन सभी ग्राम पंचायतों में यदि कोई ऐसा बड़ा नाला हो जो परंपरागत तरीके से प्रदूषण मुक्त न बनाया जा सके उसके लिए भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रपोज किया जाए। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जो उद्योग स्थापित हैं वह भी नदी नालों को प्रदूषित ना करें यह सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को भी पुराने बैरेजेस की मरम्मत तथा स्टॉप डेम आदि आवश्यकता अनुसार बनवाने के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उक्त सभी प्रस्तावों को एकीकृत कर एक कार्य नीति तीन से चार दिवस के भीतर तैयार की जाए।