कर कानूनों के इंटरप्रिटेशन एवं तीनों नए कानूनों का कर कानूनों पर प्रभाव विषय पर सेमिनार संपन्न

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टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर एवं सीए शाखा द्वारा “कर कानूनों के इंटरप्रिटेशन एवं तीनों नए कानूनों का कर कानूनों पर प्रभाव” विषय पर सेमिनार जिसे सुप्रसिद्ध सीए एवं सीनियर एडवोकेट सुमित नेमा ने सम्बोधित किया l

टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए जे पी सर्राफ ने कहा कि कर कानूनों का प्रशासन भारतीय कानून की मूल भावना के अनुसार ही होता है l अब जबकि तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक संहिता 2023, एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियमों ने क्रमशः आईपीसी, सीआरपीसी एवं ईविडेंस एक्ट का स्थान ले लिया है अतः कर कानूनों का इंटरप्रिटेशन कैसे हो तथा नए कानून किस प्रकार कर कानूनों पर प्रभाव डालेंगे इस हेतु इस महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया है l

मुख्य वक्ता सीनियर एडवोकेट सीए सुमित नेमा ने कहा कि पिछले हफ्ते राज्य सभा ने तीनों नए कानूनों को पास कर दिया तथा लोकसभा से ये कानून पहले ही पास हो चुके थे l यह भारतीय कानूनों का सबसे बड़ा रिफार्म है तथा इन कानूनों में महिलाओं, बच्चों एवं राष्ट्र को प्राथमिकता से रखा गया है जो कि उपनिवेशीय कानूनों की प्राथमिकता जिसमें कोष एवं राजद्रोह, छल कपट अपराधों को प्राथमिकता प्रदान की गई थी तथा सामान्य नागरिकों की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज किया गया था; से एकदम अलग है l नेमा ने बताया कि नए कानूनों में पीड़ितविज्ञान (victimology) और अपराधशास्त्र(Criminology) को आधार बनाया गया है जिसमें अपराध से पीड़ित, एक पहचान योग्य व्यक्ति होना चाहिए, जिसे मात्र अपराधी द्वारा प्रत्यक्ष तथा व्यक्तिगत रूप से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचाई गई हों न की सम्पूर्ण समाज के किसी वर्ग द्वारा। इसलिए स्पष्ट है कि अपराध का परिणाम ही व्यक्ति का विक्टिम बनना है। अतः विक्टिम सेंट्रिक रिफॉर्म्स में 3 मुख्य बिंदुओं का समावेश किया गया है:
1. सहभागिता का अधिकार जिसमें पीड़ित को अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है;

2. जानकारी का अधिकार

3. क्षतिपूर्ति का अधिकार

नए कानूनों में पीड़ित के उपरोक्त तीनों अधिकारों का ध्यान रखा गया है l

नेमा ने कहा कि नए कानूनों में ज़ीरो एफआईआर को क़ानूनी स्वरुप पहनाया गया है जिसमें अपराध किसी भी क्षेत्र में हुआ हो; एफआईआर कहीं भी किसी भी क्षेत्राधिकार वाले थाने में दर्ज की जा सकती है l यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में एक बड़ा कदम है l

सुमित नेमा ने कहा कि लॉ इंटरप्रिटेशन का आशय कानून के सही अर्थों की समझ से है l कोर्ट्स द्वारा भी कानून के किसी भी भाग में संशय होने पर इंटरप्रिटेशन के बेसिक रूल्स का ही सहारा लिया जाता है l क्योंकि कोर्ट्स का दायित्व सिर्फ कानून को पढ़ना ही नहीं उसकी भावना का सार्थक परिपालन भी कराना होता है l इसका उपयोग; प्रावधान किस कारण से लाया गया था तथा उसका असली उद्देश्य क्या था इसका भी पता लगाने में किया जाता हैl
नेमा ने कहा कि नये क़ानून में चेन स्नेचिंग को अपराध माना गया है जबकि पहले रिपोर्ट लिखाने की लैंग्वेज तथा रिपोर्ट लिखने वाले की मर्ज़ी पर निर्भर करता था कि चोरी की रिपोर्ट लिखें या लूट की। पहले क़ानून में आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी
अब आतंकवाद को परिभाषित कर दिया गया है । अब राष्ट्र की संप्रभुता को नुक़सान पहुँचाना भी आतंकवाद कहलाया जाएगा। अब किसी भी गिरफ़्तारी या सर्च सीज़र के समय वीडियोग्राफ़ी कराना आवश्यक होगी ।

सेमिनार का सञ्चालन कर रहे टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कहा कि टैक्स कम्प्लायंस तथा एडमिनिस्ट्रेशन एक गंभीर विषय होता है तथा कर प्रशासन के समय भारतीय मूल कानूनों को ध्यान में रखते हुए ही कर प्रशासन तथा इंटरप्रिटेशन किया जाना चाहिए l

इस अवसर पर इंदौर सीए शाखा के चेयरमेन सीए मौसम राठी ने भी स्वागत भाषण दियाl इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए सुनील पी जैन, सीए अविनाश अग्रवाल, सीए संकेत मेहता, सीए दीपक माहेश्वरी, सीए अभिषेक गांग, सीए प्रणय गोयल, सीए प्रमोद गर्ग सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे l