रियल टाइम मॉनिटरिंग से 108 एम्बुलेंस सेवाओं के रिस्पॉन्स टाइम में हुआ सुधार

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भोपाल: चाहे कोई गम्भीर बीमारी हो या एक्सीडेंट का कोई केस हो, शासकीय व्यवस्थाओं के कारण कुछ ही मिनिटों में अब पीड़ितों को बेहतर इलाज की सुविधा पहुंचाने के सफल प्रयास किये जाते हैं। ऐसी चिकित्सा सुविधाओं को त्वरित गति से प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एक संस्था है, ज़िकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड। इसका इंटीग्रेटेड रेफरल ट्रांसपोर्ट सिस्टम, जो मध्यप्रदेश में 108 एम्बुलेंस, जननी एक्सप्रेस तथा 104 कॉल सेंटर्स का संचालन करती है। कम्पनी ने मध्यप्रदेश में अपनी सेवाओं के सफल 4 वर्ष हाल ही में पूरे किए हैं और मात्र 4 वर्षों के इस सफर में कम्पनी द्वारा राज्य में 92,66,855 लोगों को आपातकालीन सेवाएं प्रदान की हैं। भारत मे यह आईआरटीएस आधारित पहला प्रोजेक्ट है।

इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए, जितेंद्र शर्मा, प्रोजेक्ट हेड मध्यप्रदेश, इंटीग्रेटेड रेफरल ट्रांसपोर्ट सिस्टम-ज़िकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड ने कहा-‘दुर्घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश भी देश में पीछे नहीं है । रोज हज़ारों दुर्घटना की कॉल्स आती हैं और सैकड़ों स्थानों पर एम्बुलेंस की जरूरत होती है। मगर हर पल, हर शहर, हर गांव में मदद करने को तैयार रहते हैं। अच्छी बात यह भी है कि इस काम मे रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, बैक ड्रॉप फैसिलिटी में और भी अधिक सुधार आया है। इमरजेंसी केसेस को जननी सुरक्षा तथा 108 सेवाएं देती हैं। उनका मुख्य काम मरीज को अस्पताल तक ले जाना और जननी के हॉस्पिटल से घर और घर से फिर हॉस्पिटल तक रियल टाइम मॉनिटरिंग सेल के हिसाब से चलना होता है।

यह रियल टाइम मॉनिटरिंग सेल इसी रुट के हिसाब से तैयार की गई होती है। इस पूरी टीम के जरिये एम्बुलेंस की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है। जब किसी केस के लिए कॉल सेंटर से एम्बुलेंस डिस्पैच होती है तबसे ही करीब 50 लोगों की टीम लगभग सभी एम्बुलेंस पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जीपीएस (जीपीएस) के जरिये लगभग सभी एम्बुलेंस को मॉनिटर करते हैं।

एम्बुलेंस मरीज के पास कब पहुंची, कब वह हॉस्पिटल में भर्ती हुआ और कब मरीज वापस अपनी बेस लोकेशन (जहां से उसे लाया गया था) पर वापस पहुंचा, इसकी मॉनिटरिंग होती है। इस टीम का लक्ष्य मरीज तक जितनी जल्दी हो सके पहुंचना होता है और उसके बाद दूसरे मरीज या केस के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध कराना होता है। ज़िकित्जा कॉल सेंटर देश का एकमात्र इंटीग्रेटेड कॉल सेंटर है जहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। हम आगे भी अपनी पूर्ण क्षमताओं के साथ इस सेवा को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

अगर हम सितम्बर 2020 से मार्च 2021 की बात करे तो हमारा रिस्पॉन्स टाइम 3 मिनिट 21 सेकंड से इम्प्रूव हुआ है अर्थात अगर सितम्बर-20 में रिस्पॉन्स एवरेज टाइम 28 मिनिट 13 सेकंड लग रहे थे तो यह टाइम मार्च -21 में घटकर 24 मिनिट 52 सेकंड ही रह गया , जो एक ख़ुशी की बात है l

किसी भी दुर्घटना या आपातकाल की स्थिति में पीड़ित तक सुविधा/सेवा के पहुंचने का एक अपेक्षित टाइम होता है। यह टाइम जिस क्षण कॉलर 108 को कॉल करता है तबसे 20-30 मिनिट्स का होता है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि एम्बुलेंस अपेक्षित समय पर सही जगह पहुंच जाए, इसे आरटीएम सेल टास्क द्वारा पूरे एमी मॉनिटर किया जाता है। आरटीएम सेल डेस्क एक पूरी तरह समर्पित कंट्रोल रूम है जो सारी एम्बुलेंस की लाइव मॉनिटरिंग करती है आउट उन्हें समय पर चलने के लिए अलर्ट करती है, कहती है, ताकि वे सही समय पर पहुंच सकें और रिस्पॉन्स टाइम पर सेवाएँ दे सकें।

यदि कार्य सौंपे जाने के 2 मिनिट में एम्बुलेंस अपनी जगह से नहीं चलती है, यदि एम्बुलेंस केस के बीच मे रुक जाती है, बिना किसी केस के एम्बुलेंस चलती है या सही दिशा से भटक जाती है तो आरटीएम सेल डेस्क तुंरन्त एक्शन लेती है। ऐसी सभी स्थितियों में कंट्रोल रूम से तुंरन्त कारण का पता लगाने के लिए कॉल किया जाता है। यदि बताया गया कारण पर्याप्त नहीं होता तो इस संदर्भ में सही कदम उठाया जाता है और एम्बुलेंस को आगे बढ़ाया जाता है। इन सभी के साथ माह दर माह रिस्पॉन्स टाइम में सुधार हुआ है।

इसके पूर्व जितेंद्र शर्मा ने कहा कि-‘रिस्पॉन्स टाइम (वह समय जो किसी आपातकाल की स्थिति में एम्बुलेंस के तुंरत प्रतिक्रिया देने को दर्शाता है) में पहले की तुलना में बहुत सुधार हुआ है। यदि हम पिछले 6 महीनों की ही बात करें तो इस सिस्टम के बनने के बाद से, प्रत्येक केस बकायदा मॉनिटर किया जा रहा है। इसकी वजह से 108 एम्बुलेंस के कर्मचारी पीड़ित लोगों के पास जल्दी पहुंच पा रहे हैं और उन्हें इलाज देने तथा सुरक्षित पास के सरकारी अस्पताल तक पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं। यह सबकुछ 108 टीम, सरकार तथा राज्य के लोगों की वजह से सम्भव हो पाया है। एक पूरे तंत्र को सभी मिलकर सही रूप से चला पाते हैं और यह उसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

इसके अलावा अन्य पैरामीटर्स (मापदंडों) में भी सुधार हुआ है: वर्तमान में एम्बुलेंस अपने हाथ का एक टास्क पहले की तुलना में जल्दी खत्म कर पाती है और दूसरे केस के लिए तैयार रहती है। मॉनिटरिंग ने अनाधिकृत (अनऑथोराइज़्ड) केसेस के साथ साथ संचालन में भी सुधार किया है। साथ ही बड़े पैमाने पर सेवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।’