हाईकोर्ट में सरकार के जवाब से तय होगी प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीख

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मध्यप्रदेश के नगर निगम चुनावों में आरक्षण प्रक्रिया रोड़ा अटकाए खड़ी है दरअसल प्रदेश में निकाय चुनावों की सुगबुगाहट तेज से चल रही है,नगरीय चुनावों में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर आज हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई है और सरकार ने कोर्ट में अपना जवाव पेश करने के लिए समय की मांग की है हाईकोर्ट के आदेशानुसार सरकार को 81 नगरीय निकायों के आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया के मामले में सरकार को अपना जवाब पेश करना था.

दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग ने साल 2014 में जो अध्यक्ष और महापौर के पद आरक्षित वर्ग के लिए थे, उन्हें इस साल होने वाले प्रस्तावित चुनावों में भी आरक्षित कर दिया गया था। जिसे लेकर इस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट में लगाईं गई थी और अब पंचायतों के चुनावों की प्रक्रिया 52 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों का आरक्षण न होने कारण ही रुकी हुई है.

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रदेश के 81 नगरीय निकायों में मुरैना और उज्जैन नगर निगम समेत 79 निकायों में महापौर व अध्यक्ष पद के आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया में विसंगति होने से इन पदों के लिए सरकार द्वारा किए गए आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी.

साथ ही कोर्ट ने आरक्षण की विसगंतियों पर सरकार को जबाब पेश करने का आदेश दिया था. इन नगरीय निकायों के आरक्षण का मसला निपटने के बाद ही प्रदेश के नगरीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। अब लम्बे समय से लगातार टल रहे नगरीय चुनावों के लिए पार्टी नेताओ के साथ जनता की निगाहें सरकार के 26 अप्रैल के जवाब पर टिकी हुई है.