इंदौर। एमवाय हॉस्पिटल के डॉक्टर्स सर्जन की टीम ने , शरीर में आरपार फंसे 3 जहरीले तीरो को निकालने के लिए लगातार 5 घण्टे ऑपरेशन कर 60 वर्षीय आदिवासी की न सिर्फ जान बचा ली बल्कि इलाज के बाद उसे वापस अपने पैरो पर खड़ा कर दिया । ऑपरेशन के बाद 8 दिनों तक चले इलाज के बाद घायल मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।
एम वॉय हॉस्पिटल सर्जरी विभाग के यूनिट हेड डॉक्टर अरविंद घनघोरिया के अनुसार, 13 नवम्बर को यानी दीपावली की अगली रात को ,बड़वानी जिला अस्पताल ने , गम्भीर रूप से घायल इस्माल को जो कि पाटी तहसील , गांव उबरगढ़ का निवासी है , उसे एमवॉय हॉस्पिटल को रैफर किया था ।
आपसी विवाद में ,हुए हमले में बुरी तरह से घायल इस्माल के पेट , जांघ ,सहित हांथ में तीन तीर फंसे हुए थे , घायल के परिजनो ने बताया कि जो तीर शरीर मे घुसे है वह जहरीले है। यानी डाक्टरो के सामने यह दोहरा नही बल्कि ट्रिपल चेलेंज था पहला यह कि घायल मरीज के आरपार तीरो को निकालना ,दूसरा , शरीर मे जहर फैलने से रोकना , तीसरा खून की नसे कट जाने की वजह से , खून का अत्यधिक बहाव को रोकना , क्योकि बड़वानी से इंदौर तक आते आते पहले ही बहुत खून बह चुका था।
घायल मरीज की मेडिकल सम्बन्धित सभी जांच और खून की व्यवस्था करने के बाद उसे तत्काल। ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया , जंहा पर हेड सर्जन डॉक्टर घनघोरिया ,डॉ नवीन गुप्ता डॉ फरीद खान डॉ सहज धाकड़ ने लगातार 5 घण्टे तक लगातार ऑपरेशन कर शरीर के अलग अलग अंगों में फंसे न सिर्फ तीर निकाले बल्कि नसों से लगातार बह रहे खून और शरीर मे जहर को फैलने से रोकने में जुटे रहे। इस क्रिटिकल ऑपरेशन में इन चार सर्जन के अलावा 2 अन्य डॉक्टर्स के के अरोरा और डॉ रितु पौराणिक की भूमिका अहम रही ।
ऑपरेशन के बाद घायल मरीज को एक् सप्ताह तक सतत निगरानी में रखा गया । हालत में लगातार सुधार के बाद मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है । ऑपरेशन से लगाकर 8 दिन तक चले इलाज में ,मरीज के परिजन का एक रुपया भी खर्च नही हुआ । डॉक्टर्स के अनुसार अगर यही ऑपरेशन यदि किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में होता तो मरीज के परिजनों से लगभग 10 लाख रुपये तक वसूल लिए जाते।