प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर मतदान के माध्यम से हम अपने राज्य की सरकार का चुनाव करते हैं। प्रदेश के नागरिक इस चुनावी प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग लेते हैं। कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे ज्यादा हो, उसे मतदान करने का अधिकार है। भारतीय संविधान के अनुसार नियमित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न करवाने का कार्य निर्वाचन आयोग का है।
देश में चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी करने से लेकर परिणाम घोषित करने तक चुनाव आयोग की एक लंबी प्रक्रिया है। मध्यप्रदेश जैसे विशाल एवं बड़ी आबादी वाले प्रदेश में चुनाव संपन्न कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। चुनाव आयोग पर धन-बल तथा बाहु-बल से निपटने की भी ज़िम्मेदारी होती है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव एक अच्छे लोकतंत्र की स्थापना का आधार है।
जब भी चुनाव आते हैं लोग विशेषकर नवयुवा यह सवाल पूछते है कि, क्यों जरूरी है बार बार ये चुनाव। इसका सवाल का जवाब देना आसान नही है। हमारे देश का शासन लोकतान्त्रिक पद्धति से चलता है और लोकतन्त्र दो शब्दो से मिलकर बना है लोक और तंत्र। ‘लोकतंत्र’ का अर्थ है, एक ऐसी शासन पद्धति जिसमें स्वतंत्रता, समता और बंधुता, समाज-जीवन के मूल सिद्धांत होते हैं। ‘लोकतंत्र’ शब्द का अंग्रेजी पर्याय ‘डेमोक्रेसी’ है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द ‘डेमोस’ से हुई है।
डेमोस का अर्थ होता है- ‘जन साधारण’ और इस शब्द में ‘क्रेसी’ शब्द जोड़ा गया है जिसका अर्थ ‘शासन’ होता है। लोकतंत्र जिसमें लोग शासन करने के लिए अपना प्रतिनिधि चुनते है। अब यह बिना चुनाव के कैसे संभव है। लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधि, ठीक ढंग से कार्य करें, मनमानी ना करने लगें इसलिए निश्चित समय अंतराल में चुनाव कर पुनः नयी सरकार का गठन किया जाता है।
सरकार के गठन हेतु जब आप वोट देने जाते हैं, तो ढेर सारे उम्मीदवारों और कई पार्टियों से पाला पड़ता है। मतदान केंद्र पर आपको बस कुछ पलों में फ़ैसला करना होता है कि किस उम्मीदवार को वोट देना है। एक आम आदमी जब बूथ तक चल कर जाता है और वोटिंग मशीन का एक बटन दबाया है तब वो इस लोकतन्त्र की राजनीतिक क्रांति का अग्रदूत साबित होता है। आपका एक वोट अगले पांच साल की सरकार बनाता है। यानी कुछ क्षणों में लिए गए फ़ैसले का असर हम अगले पांच साल तक देखते हैं।
वोट डालना इसलिए भी जरूरी है कि इस वोट के द्वारा अपनी सरकार चुनने के अधिकार को पाने की खातिर हमारे पुरखों ने आजादी के संघर्ष मे अपना खून बहाया था। भारत का प्रत्येक नागरिक, जिसकी आयु 18 वर्ष हो चुकी है उसे मतदान करके अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाना है। मतदाता लोकतंत्र का नायक है, उसे एक सरकार बनानी है। चुनाव द्वारा ही सरकार को वैधता प्राप्त होती है। लोकतंत्र में शासन चलता ही लोगों के वोट डालने से है।
‘मतदान’ अर्थात अपने ‘विचार का दान’। दान लालच भाव से या किसी आशा से नहीं किया जाता। ‘भारत का लोकतंत्र सुदृढ़ हो’ यह भाव अवश्य ही मतदाता के मन में बना रहना चाहिए। इसीलिए संविधान में व्यवस्था दी गई है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों।
जो मतदान करने जा रहे हैं वें अपने पुरखों की उपरोक्त बातों को ध्यान में रख मतदान करें। भ्रष्ट साधन न अपनाएं। लालच में न आए। निर्भीक और निडर भाव से वोट डालें। वोट देते समय यदि मतदाता ने कुछ ले लिया तो समझो उसने लोकतंत्र का गला दबा दिया। इन सब से मतदाता को बचना है। इस शहर के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रख कर अपने मत का प्रयोग करें। वोट बहुत मूल्यवान वस्तु है। एक-एक वोट से सरकार बनती और गिर जाती है। वोट का महत्व समझ कर ही वोट डालें और अवश्य डालें। स्वतंत्र मन से डालें।
जब उम्मीदवारों द्वारा, राजनीतिक पार्टियों द्वारा आपको तरह तरह के प्रलोभन दिये जा रहे हो तो ऐसे में सही चुनाव करना और भी ज़रूरी हो जाता है। अक्सर लोग पार्टी के प्रति निष्ठा रखते हुए वोट डालते हैं। कुछ लोग उम्मीदवार देख कर वोट डालते हैं। तो, किसी को विचारधारा प्रभावित करती है। कुछ लोग जाति और धर्म के आधार पर अपना पसंदीदा उम्मीदवार चुनते है। और ऐसे लोग भी होते हैं, जो नीतियों के हिसाब से प्रत्याशी चुनते हैं। देखा गया है कि अक्सर हम जो चुनाव करते हैं, वो तर्कों से परे होते हैं। हम जज़्बाती होकर फैसला करते हैं। आप को बिना जज़्बाती हुए, सही उम्मीदवार का चुनाव करना चाहिए।
ये सारे फ़ैसले करना आसान नहीं। आपको सही उम्मीदवार का चुनाव करना हो, तो आपको हर पार्टी, प्रत्याशी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. फिर उनकी ख़ूबियां और ख़ामियां पता होनी चाहिए। ज़्यादातर मतदाताओं के पास इतना वक़्त नहीं होता। लंबी चुनावी प्रक्रिया के दौरान सभी उम्मीदवारों के बयानों और सभी दलों के घोषणापत्रों को समझ लेना आम आदमी के लिए क़रीब-क़रीब नामुमकिन काम है। फिर भी सही उम्मीदवार का चुनाव स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है। हालांकि, ये काम आसान नहीं है. लेकिन, आख़िरी फ़ैसला आप का ही होता है।
देश हित में, लोकतन्त्र के हित में, समाज के हित में, अपने परिवार और स्वयं के हित में मतदान एक अति महत्वपूर्ण और आवश्यक ज़िम्मेदारी है और चुनाव वाले दिन मतदान केंद्र तक जाकर अपना मत डालने की इस महती ज़िम्मेदारी का निर्वहन आप सभी को करना ही को चाहिए। जयहिंद।
राजकुमार जैन, स्वतंत्र विचारक एवं लेखक