29 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की 12वीं दिन की सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को दो अलग यूनियन टेरिटरी में बांटने का कदम बरकरार रहेगा। इसी के साथ ही दोनों केंद्र शासित प्रदेशों को जल्द ही फिर से मिलाकर एक राज्य बना दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रस्तावित फैसले के पीछे राष्ट्रीय हित की भावना को महत्वपूर्ण मानते हुए बताया कि वह जम्मू-कश्मीर को दो अलग यूनियन टेरिटरी में विभाजित करने के केंद्र के फैसले की मंजूरी देने के लिए इच्छुक है। कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में दो मुख्य प्रश्नों का जवाब मांगा है – पहले, जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरिटरी में बदलने का प्रस्ताव कितना अस्थायी है और दूसरे, इसे फिर से एक राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए कितना समय आवश्यक है।
28 अगस्त को सुनवाई में, कोर्ट ने आर्टिकल 35A को नागरिकों के अधिकारों का हनन करने वाला आर्टिकल बताया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा की इस याचिका के परिणामस्वरूप आर्टिकल 370 के अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों के विशेषाधिकारों को हानि पहुंचाई गई थी। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के कारण केंद्र के कई कानून लागू नहीं हो सकते थे। संवाद कर्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के लेक्चरर जहूर अहमद भट के सस्पेंशन की बात की और उनकी चिंता जताई।
नए दृष्टिकोण:
यह सुनवाई जम्मू-कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें आर्टिकल 370 के प्रतिष्ठान्ता को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की इच्छा दर्शाती है कि वह देश के हित को मजबूती से महत्व देती है और उसके निर्णयों के प्रति उत्तरदायित्वपूर्ण दृष्टिकोण रखती है।