– कोर्ट ने पुलिस व साइबर जांच में कमियाें का हवाला दिया
भोपाल। सात साल पुराने ई मेल हैकिंग के मामले में भोपाल जिला व सत्र न्यायालय ने साबु ट्रेड सेलम के मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल साबु समेत अन्य दो डायरेक्टर को बाइज्जत बरी कर दिया। न्यायालय ने माना कि पुलिस ने प्रकरण में गंभीरता से जांच नहीं की और कंपनी के विरुदध हैकिंग का मामला नहीं बनता।
मामले की शुरुआत 5 जून 2016 को हुई जब गोपाल साबु के छोटे भाई राजकुमार साबु ने शिकायत दर्ज कराई कि तमिलनाड़ु के एक आईपी से उनका ई-मेल एड्रेस हैक किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया कि आईपी गोपाल साबु के घर का है। शिकायत के बाद गोपाल साबु व उनके पुत्रों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया। इस पर गोपाल साबु ने वकील के जरिए जवाब भिजवा दिया। मार्च 2017 में भोपाल जिला एवं सत्र न्यायालय में साइबर एक्ट की धारा 66 सी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया।
अखबारों में खबर छपवा कर बदनाम किया
मामले की जांच के लिए पुलिसकर्मियों का दल सेलम भी गया। इस बीच राजकुमार साबु ने भोपाल के अखबारों में इंदौर के व्यापारी मेल आईडी हैक करने पर गिरफ्तार शीर्षक से खबरें लगवाईं व व्यापारिक परिवार की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया। हालांकि गोपाल साबु व उनके पुत्रों ने प्रकरण में जमानत ले ली थी। ज्ञात हो कि राजकुमार साबूु 2016 में सच्चा मोती मार्का विवाद शुरू होने के पहले तक कंपनी में डायरेक्टर था और इस अवधि में सेलम में था। उसे परिवार के आईपी एड्रेस और वाईफाई पासवर्ड मालूम था।
कंपनी कोई हैकर नहीं : न्यायालय
भोपाल जिला एवं सत्र न्यायालय में चले मामले में न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि राजकुमार जिस पासवर्ड का हवाला देकर आरोप लगा रहा है, वह साबु ट्रेड कंपनी के नाम से है। अत: कंपनी हैक नहीं कर सकती, यह काम किसी व्यक्ति का है। पुलिस जांच में जिस मोबाइल नंबर का जिक्र किया गया, वह हैंडसेट पुलिस द्वारा न तो जब्त किया गया और न ही पेश किया गया। साथ ही मोबाइल धारक मणिकरणन की न गिरफ्तारी हुई और न ही उसे अभियुक्त बनाया गया। पुलिस अनुसंधान व साइबर जांच में कई कमियां हैं, जिससे आरोप सिद्ध नहीं होते। अत: न्यायालय ने साबु ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के तीनों डायरेक्टर्स गोपाल साबु, विकास साबु व विशाल साबु को प्रकरण से बरी कर दिया।