पं. प्रदीप मिश्रा के उपायों से प्रकृति को पहुंच रही ठेस, पत्र लिखकर की बचाव की अपील

Shivani Rathore
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Sehore Pandit Pradeep Mishra : इन दिनों शिवपुराण के माध्यम से अपनी अलग पहचान बना चुके सीहोर में प्रसिद्द पंडित प्रदीप मिश्रा को प्रकृति ने एक पत्र लिखा और उसमे आग्रह किया कि हम सब कुशल मंगल हैं और आप भी कुशल मंगल रहें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। मां सरस्वती जी और भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा से आप समस्त संसार को धर्म की राह पर अपने साथ लेकर चल रहे हैं। हमें गर्व है कि हम सनातनी हैं। हम उस धर्म के अनुयायी हैं जिसे विश्व में पूर्ण सम्मान दिया जाता है। आपने तो हमारे युवाओं को धार्मिक बना दिया उन्हें सनातन परंपरा से अवगत करा दिया यह निश्चित ही गर्व की बात है।

आपने कभी किसी में भेदभाव नहीं किया और सबको अपने प्रवचनों के माध्यम से सब उपाय बताए । बीमार की बीमारी ठीक हुई तो दुखियों के दुःख कम हुए, युवाओं की नोकरी लगी तो बच्चे उत्तीर्ण हुए , कोई कुछ भी कहे पर आपके प्रवचनों से आत्मबल भी बढ़ा और सकारात्मक भी हुए। हम भी आपकी शिवपुराण का आनंद ले चके हैं।

खैर ये तो एक पहलू हुआ

पंडित जी दरअसल हम इस पत्र के माध्यम से आपसे विनती करना चाहते हैं। आज सुबह से मन आहत हो गया जब देखा कि कनेर के पौधें , पेड़ धरती पर टूटे पड़े हैं।

कई बार देखा ये दृश्य 

पंडित जी आप बेशक उपाय बताइये पर आपके बताए उपायों को करने में पेड़ पौधों का बहुत नुकसान हो रहा है। लोग लाल , पीले ,सफेद फूल तोड़ने के लिए पूरी पूरी डगालें तोड़ रहे हैं। पत्तियां तोड़ने के लिए पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं , कोमल कलियों तक को तोड़ लेते हैं। जिनके घरों में बगीचे हैं उनको रात दिन चौकीदारी करना पड़ रही है। बेलपत्र, शमी को तो उखाड़ कर ले जाते हैं। बड़े चाव से हम सब बगिया सजाते हैं पर आप जैसे ही कोई उपाय बताते हैं वो बगिया तहस नहस हो जाती है।

पूजन सामग्री महंगी हो जाती है विशेष तिथियों पर

गन्ने का रस महंगा हो गया। किसी बीमार व्यक्ति को यदि गन्ने का रस पिलाना हो तो कई किलोमीटर तक जाना होता है और फिर दुगने दामों में मिलता है। गंगा जल बोलकर लोग बिसलरी का पानी बेच रहे हैं और सीधे साधे भक्त खरीद रहे हैं।

धर्म का , परंपरा का पालन करना बुरी बात नहीं है , उपाय करना बुरी बात नहीं पर पंडित जी ये कैसे उपाय हैं जिनसे इतनी अव्यवस्था हो रही है। मेरा आपसे निवेदन है कि आप उपाय , समाधान सब बताइये पर साथ ही पर्यावरण का महत्व भी बताइये। बताइये कि हर व्यक्ति को हर विशेष तिथि पर पौधे भी लगाना हैं, उन्हें सींचना भी है। आप यह कहिये कि पहले अपने घरों में बेलपत्र, आंवला, शमी और फूलों की बगिया बनाये और उन्हीं से फूल पत्ती ले शिवजी को अर्पण करें। उन्हें ये कहिये कि अगर आप दूसरों की बगिया से बेदर्दी से फूल पत्ते तोड़कर शिव जी को अर्पित करेंगे तो भोलेनाथ उन्हे स्वीकार नहीं करेंगे ।

मुझे लगता है आप मेरी भावनाओं को समझ रहे होंगे।
कृपया अन्यथा न ले मेरी विनती पर विचार करिएगा।