इंदौर 17 मार्च 2021: लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा है कि सड़क पानी, बिजली और सिंचाई के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के लिये स्व-वित्तपोषित योजनाऐं बनाई जाएँ। उन्होंने यह बात आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश अधोसंरचना विकास मंत्री समूह की बैठक में कही। मंत्रालय भोपाल में आयोजित बैठक में मंत्री समूह में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण (स्वतंत्र प्रभार), नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव सहित संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गण उपस्थित थे।
लोक निर्माण मंत्री भार्गव ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की मूल अवधारणा में सभी जनोपयोगी जन-सुविधाओं के क्षेत्र में सरकार के प्रति निर्भरता को कम करना है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अधोसंरचना के क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार इस तरह से किया जाए कि योजनाओं के निर्माण से लेकर परिचालन तक की प्रक्रिया स्व-वित्त पोषित कार्यक्रम की तरह संचालित की जा सके। उन्होंने कहा कि बी.ओ.टी. के आधार पर सड़कों का निर्माण महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसी क्रम में लोक निर्माण द्वारा राज्य और जिला मार्गों को इसी आधार पर विकसित करने का रोडमेप तैयार किया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि भारत सरकार के 2023 तक सभी ग्रामों को पेयजल की उपलब्ध सुनिश्ति करने क्रम में मध्यप्रदेश में भी तेजी से कार्य किया जा रहा हैं। बैठक में मंत्री समूह द्वारा नल-जल योजनाओं के निर्माण के बाद उनके परिचालन में स्थाई समाधान के लिए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन्न सिंह तोमर ने बताया कि मध्यप्रदेश विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आत्म- निर्भरता प्राप्त कर चुका है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 21 हजार मेगावाट उत्पादन क्षमता हांसिल की जा चुकी है। लेकिन इनके परिचालन लागत को दृष्टिगत रखते हुए नवकरणीय ऊर्जा पर विशेष जोर दिए जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ग्रीन एनर्जी कारिडोर परिषण परियोजना पर काम कर रही है।
जल संसाधन मंत्री सिलावट ने बताया कि मध्यप्रदेश में समस्त स्त्रोतों से एक करोड़ 15 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित किया जा रहा है। आगामी एक वर्ष में 5 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विस्तार का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार नर्मदाघाटी विकास द्वारा भी सिचिंत रकबे में वृद्धि के लिए परियोजनाएँ तैयार की गई है। इनका क्रियान्व्यन आगामी तीन वर्ष में किया जाएगा।