डॉ.सूरजमल जैन की नवीनतम किताब ‘अनमोल पद चिन्ह’ में मौलिक दृष्टि संपन्न 16 शोध आलेखों को संकलित किया

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डॉ.सूरजमल जैन( 90 वर्ष )की नवीनतम किताब अनमोल पद चिन्ह में मौलिक दृष्टि संपन्न 16 शोध आलेखों को संकलित किया है ।इस कृति में संकलित सभी आलेख पाठक को नवीन दृष्टि से चिंतन करने का अवसर प्रदान करते हैं अधिकांश आलेख श्रमण संस्कृति के पुरातन साहित्य एवं जैनाचार्य द्वारा प्रणीत ग्रंथों तथा जैन पूरवशेषों के मूल्यांकन पर आधारित है। अतः इनके प्रकाशन का दायित्व जैन धर्म अध्ययन पीठ द्वारा लिया जाना सामायीक है। पीठ के मानत आचार्य प्रोफेसर अनुपम जैन ने इन आलेखों के प्रकाशन का दायित्व लेकर विश्वविद्यालय की गरीमा में वृद्धि की है, वही लेखक डॉक्टर सूरजमल बोबरा भी साधुवाद के पात्र हैं।

इस कृति के अध्ययन से पाठक भारतीय इतिहास के प्रति एक नवीन दृष्टि विकसित कर सकेंगे। यह विचार कुलपति प्रोफेसर रामदास आश्रम डॉ भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय अंबेडकर नगर महु। ने पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कही।वही डॉक्टर विकास दवे निदेशक साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश शासन ने बताया कि यह पुस्तक हम सबको आश्चर्य में डाल सकती है ,पृथ्वी के निर्माण की प्रक्रिया हो या हमारे राष्ट्र भारतवर्ष के निर्माण के प्रारंभिक काल के विषय हो।सनातन परंपराओं में आने वाले उन विषयों को भी सूरजमल ने छुआ है जिस पर लिखने में अच्छे-अच्छे इतिहासविद पुरातत्वविदों की कलम कांपने लगती है।

विगत अनेक वर्षों में इतिहास को पश्चिमी चश्मे से देखने की एक आदत सी हो गई है। इस परिप्रेक्ष्य में डाॅ. सूरजमल का पूरा लेखन सचमुच भारत माता की आरती करने जैसा है। ऐसे संवेदनशील विषयों पर लेखन करना तलवार की धार पर चलने जैसा होता है ,क्योंकि सनातन परंपराओं की मान्यताओं और जैन दर्शन की मान्यताओं के मध्य भी कई बार हम जैसे सामान्य मनुष्यों की समझ का फेर ,इन विषयों को मतभिन्नता के रूप में प्रकट कर बैठता है। किंतु मुझे ऐसा लगता है कि इस प्रकार की वैचारिक भिन्नता अपनी जगह बनी रहे परंतु भारतीय दर्शनों के परिप्रेक्ष्य में हमारे अपने इतिहास को देखना ही सच्ची राष्ट्रभक्ति होती है। इसलिए डॉ सूरजमल बोबड़ा को इस ग्रंथ के लेखन और प्रकाशन हेतु मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं। इस पुस्तक के विमोचन के अवसर पर शहर के साहित्य जगत के बहुत से गणमान्य नागरिक उपस्थित हुए कार्यक्रम का आयोजन डॉ भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय अंबेडकर नगर में संपन्न हुआ।