कोलंबो। श्रीलंका की जमींन पर चीन समुद्र के अंदर एक शहर बना रहा है। जिसके लिए काम शुरू हो चूका है और इसके लिए श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो के मशहूर गाले फेस के बीच से कुछ ही दुरी पर कई बड़ी-बड़ी मशीने काम रही है। श्रीलंका जिस जमींन पर शहर बना रहा है उस जगह पर पहले समुद्र था। इस काम को शुरू करने के लिए समुद्र की कुछ जगह को पीछे की ओर हटा दिया गया है। इसके लिए काफी ज्यादा एरिया में मिट्टी और रेत डालकर एरिया को पीछे की ओर हटाया गया।
श्रीलंका के इस कोलंबो शहर में इस काम को पूरा करने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों को काम पूरा करने के लिए लगाया गया है। दरअसल श्रीलंका की जमीन पर जो कोलंबो पोर्ट सिटी बन रही है। वह समुद्र के अंदर चीन बना रहा है और इसका पूरा खर्चा चीन सरकार उठा रही है। इस शहर को बनाने के लिए पुलिस की इजाजत भी नहीं ली, काम को बिना पुलिस की इजाजत के शुरू कर दिया। बदले में चीन को 43% जमीन लीज पर मिलेगी
इकोनॉमिक समस्या से गुजरते हुए श्रीलंका को काफी ज्यादा समय हो चूका है। पैसो की कमी के कारण श्रीलंका सरकार ने कई योजनाऐ बंद करवा दी| सभी बड़े-बड़े काम को रोक दिए गए, लेकिन ये जो सिटी बन रही है उस काम को नहीं रोका गया। श्रीलंका की जमीन पर इस सिटी को बनाया जा रहा लेकिन इस पर चीन का कानून चलाया जायेगा। एक तरफ देखा जाए तो श्रीलंका की सरकार इसे कोलंबो पोर्ट सिटी और दूसरी और चीन इसे चाइना पोर्ट सिटी कह रही है।
इस काम को पूरा करने करने के लिए श्रीलंका की सरकार ने कई बड़े प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। जिस जगह पर काम किया जा रहा है वहा अंदर श्रीलंका और चीन दोनों झंडे लहरा रहे है। जिससे श्रीलंका की सरकार को यह डर बना है कि चीन इस देश पर कब्जा कर बैठेगा। श्रीलंका की सरकार ने चीन के नियमो के खिलाफ जाकर ये सिटी बनाने की अनुमति दी है, इसलिए यहा चीन के नियम चलेंगे।
इस पोर्ट सिटी से श्रीलंका और चीन को क्या फायदा होगा। इस सिटी के अंदर बौद्ध टेंपल और साइड पर एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं प्राप्त होगी। इस सिटी के अंदर मीडिया को जाने की अनुमति नहीं है। इस प्रोजेक्ट के कम्पलीट होने को लेकर सरकार ने कहा की लाखो की संख्या में नौकरियाँ निकालेगी और श्रीलंका भी दूसरे देश दुबई-हॉन्गकॉन्ग की तरह बनेगा। इस पोर्ट को सिटी को बनाने का ठेका चीनी कंपनी को दिया गया। इस काम को पूरा करने के लिए संसद ने जल्दी ही बिल पास करवाया। कोलंबो पोर्ट में होटल, ऑफिस व घर सभी चीजे बानी जा रही है। जल्द ही चीन इस प्रोजेक्ट को कम्पलीट करेगा।