इंदौर. हमारी बदलती लाइफस्टाइल और खानपान ने गायनेकोलॉजी से संबंधित कई बीमारियों को जन्म दिया है हमारे खान पान में फास्ट फूड के शामिल होने के चलते मोटापे से संबंधित समस्या सामने आती है जिसके चलते हार्मोनल चेंजेस होते हैं और इसका असर गर्भधारण करने के लिए जरूरी अंडों पर पड़ता है। वहीं लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते हैं लेट मैरिज होने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी जैसी समस्याएं सामने आ रही है। इसी के साथ भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस के चलते महिलाओं में इनफर्टिलिटी, बच्चें का कम वजन होना और अन्य समस्या देखने को सामने आती है।
यह बात डॉक्टर हेमा जाजू ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित मेडी केयर हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
सवाल. हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या है यह कैसे सामने आती है
जवाब. वर्तमान समय में हाई रिस्क प्रेगनेंसी के पेशेंट देखने को सामने आते हैं अगर इसके कारणों की बात की जाए तो गर्भवती महिला की उम्र ज्यादा होना, महिला को थाइरोइड, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ट्विंस, अबॉर्शन हिस्ट्री और अन्य कारणों के चलते हाई रिस्क प्रेगनेंसी देखी जाती है। इस दौरान हाई ब्लड प्रेशर के चलते दिमाग की नस फटने के चांस होते है साथ ही डायबिटीज के चलते ब्रेन डेमेज की संभावना बढ़ जाती है। वही थाइरॉएड की मात्रा बढ़ जाए तो अबॉर्शन हो सकता है। इन चीजों से बचने के लिए सही समय पर शादी और ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थाइरॉएड जैसी समस्या के लिए प्रिकॉशन लेना बहुत जरूरी है। इसी के साथ महिलाओं को प्री प्रेगनेंसी काउंसलिंग लेना चाहिए इस वजह से इन बीमारियों को ट्रीट करना आसान हो जाता है।
सवाल. इनफर्टिलिटी क्या है इससे बचने के लिए क्या उपाय किया जाना चाहिए
जवाब. महिलाओं में आजकल इनफर्टिलिटी से संबंधित समस्या बहुत ज्यादा देखने को सामने आ रही है। इसके मुख्य तीन कारण होते हैं जिसमें महिलाओं में अंडे नहीं बनना, नलियों का बंद होना और पुरुष के स्पर्म में समस्या होना शामिल हैं। अक्सर यह देखा गया है कि 40 से 50 प्रतिशत पुरुषों में वही 50 से 60 प्रतिशत महिलाओं मैं समस्या होने के चलते इनफर्टिलिटी सामने आती है।आमतौर पर 1 साल तक कपल के साथ रहने पर 90% महिलाओं में प्रेगनेंसी हो जाती है वही जिनमें नहीं होती है तब इसे प्राइमरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है। अगर इसके कारणों की बात की जाए तो करियर की भागदौड़ में लेट शादी, लेट फैमिली प्लानिंग शामिल है। वही हमारे खानपान में अल्ट्रा प्रोसैस्ड फूड के चलते मोटापा भी इस समस्या को बढ़ाता है। साथ ही स्ट्रेस डायबिटीज जैसी समस्याएं इनफर्टिलिटी को बढ़ावा देती है।
सवाल. एडोलसेंट और मेनोपॉज क्या है क्या लोगों में इसके प्रति जागरूकता है
जवाब. हमारे देश में एडोलसेंट और मेनोपॉज को लेकर कोई जागरूकता नहीं है हमारे शहरों में ना तो एडोलसेंट के और ना ही मेनोपॉज को लेकर कोई स्पेशल क्लिनिक है। मैं इन दोनों क्षेत्रों में भी डील करती हूं मैं कॉलेज यूनिवर्सिटी और कई जगह पर जाकर एडोलसेंट या किशोरावस्था से संबंधित सेमिनार के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास करती हूं। यह 9 से 19 साल के बीच की अवस्था होती है इस दौरान बच्चों में कई हार्मोनल चेंजेस होते हैं उस दौरान उनके शरीर में हो रहे बदलाव पर ध्यान देना जरूरी है। वही बात अगर मेनोपॉज की करी जाएं तो भारतीय महिलाओं का 45 से 50 के बीच मीनोपॉज हो जाता है। यह प्राकृतिक रूप से हर महिलाओं में होता है लेकिन कई बार यह हमारे खान-पान, ऑटोइम्यून डिजीज, स्ट्रेस और बदलती लाइफस्टाइल के चलते प्रीमेच्योर मेनोपॉज देखने को सामने आता है। कई बार महिलाओं में पीरियड की अनियमितताऐं देखने का सामने आती है इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मेरे पास कई पेशेंट आते हैं मैं उनकी काउंसलिंग करती हूं और उन्हें 30 और 35 की उम्र के बाद से ही किस तरह से स्ट्रेस, और अन्य चीजों पर कंट्रोल किया जाता है इसके बारे में जानकारी देती हूं। ताकि इसे सही तरीके से मैनेज किया जा सके।
सवाल. आपने-अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की हैं
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद मास्टर ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की पढ़ाई भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की। मैंने कई ट्रेनिंग और फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया है जिसमें एडवांस अल्ट्रासाउंड ट्रेनिंग, एडवांस लेप्रोस्कोपिक ट्रेनिंग, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी, सर्टिफाइड मेनोपॉज कोर्स और अन्य शामिल है। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने बस्तर में रामकृष्ण मिशन के साथ स्वामी विवेकानंद आरोग्यधाम से जुड़कर वहां कई सालों तक गाइनेकोलॉजी और जनरल फिजीशियन के रूप में अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान में मैं शहर के मेडिकेयर हॉस्पिटल और अपने टेलिफोन नगर स्थित अपने क्लीनिक में अपनी सेवाएं दे रही हूं।