अर्जुन राठौर
इंदौर कलेक्टर के आदेश पर रामबाग स्थित राजश्री अस्पताल में ताले लग गए हैं लेकिन कई ऐसे सच है जिनका खुलासा होना बहुत जरूरी है । पता चला है कि पिछले साल मार्च 2022 में ही इस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन समाप्त हो गया था और जिसका रिन्यूअल नहीं किया गया ऐसी स्थिति में यह अस्पताल कैसे चल रहा था ?और स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की ? क्या इंदौर के स्वास्थ्य विभाग की इसमें मिलीभगत थी? वरना बगैर रजिस्ट्रेशन के अस्पताल 1 वर्ष से अधिक अवधि तक कैसे चलता रहा?
यदि समय रहते स्वास्थ्य विभाग इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करता तो 17 साल के मासूम अमित की मौत नहीं होती वह अपने परिवार का इकलौता था उसकी मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ इंदौर का स्वास्थ विभाग भी जिम्मेदार है । पिछले दिनों सड़क हादसे में घायल हुए अमित को ऑपरेशन के लिए इसी अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन वहां पर उसे एनेस्थीसिया का अधिक मात्रा में डोज दे दिया गया और उसकी मौत हो गई ।इसके बाद परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया था। इंदौर कलेक्टर द्वारा पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी जिसने चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है ।
इससे पता चलता है कि इंदौर का स्वास्थ विभाग अस्पतालों के मामले में कितनी गंभीर लापरवाही बरत रहा है अस्पताल का ऑपरेशन थिएटर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निर्धारित नियमों के विपरीत मिला जिसमें गंदगी भी पाई गई इसके अलावा यहां पर जो स्टाफ काम कर रहा था उसमें कोई भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं था । डॉक्टर देवेंद्र भार्गव जो कि इस अस्पताल के इंचार्ज बनाए जाते हैं वे भी अस्पताल की बजाए स्कीम नंबर 74 में रहते थे ।
ऑपरेशन थिएटर के बारे में बताया गया कि यहां पर जंग लगे हुए ओजार पाए गए इसके अलावा एक्सपायर्ड दवाइयां भी मिली । जाहिर है कि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन मार्च 2022 में निरस्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस अस्पताल का निरीक्षण ही नहीं किया गया यदि निरीक्षण किया गया होता तो यह तमाम अनियमितताएं मिल जाती और अस्पताल पहले ही सील हो चुका होता लेकिन स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही ने 17 साल के एक मासूम को मौत के घाट उतार दिया । इंदौर जिला प्रशासन को इस पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करना चाहिए ।