इंदौर। पहले के मुकाबले अब माता-पिता में एजुकेशन और जागरूकता की वजह से बच्चों में होने वाली कई प्रकार की समस्याओं में कमी आई है। वर्तमान समय में जब बच्चा मां के पेट में होता है तो उसे प्रॉपर न्यूट्रिशन मिल पाता है इसी के साथ सोनोग्राफी और अन्य जांच के चलते हैं हम चीजों के बारे में पहले ही पता लगा लेते हैं और उसके लिए प्रिपेयर हो जाते हैं। वहीं अगर जिन बच्चों में फिर भी कोई डिफेक्ट पाया जाता है तो मेडिकल फील्ड में इंप्रूवमेंट के चलते हैं अब बच्चों को वेंटिलेटर पर रखना बेहोशी की दवाई और अन्य चीजों में बहुत ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है। इसी के साथ अब इसकी सर्जरी में भी एडवांस हो गई है। इसको लेकर लोगों में जागरूकता कि वजह से बच्चों में होने वाली विकृति को डील करना अब आसान हो गया है।यह बात डॉक्टर मनीष पटेल ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के कोरल और डॉल्फिन हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक सर्जन रूप के सर्जन में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. बच्चों में किस प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है जिसे सर्जरी से ठीक किया जाता है
जवाब. मैं पिछले 30 सालों से पीडियाट्रिक सर्जरी में अपनी सेवाएं दे रहा हूं हमारे पास ऐसे कई केस आते हैं जिसमें बच्चों का मलद्वार नहीं बनना, खाने और श्वास नली का जुड़ा रहना, आंतों का नहीं बनना और अन्य प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। जब बच्चा मां के पेट में होता है और उस दौरान जब मां को इंफेक्शन होने पर कई बार यह बच्चे के अंगों पर गलत प्रभाव डालता है और इस वजह से अंगो का प्रॉपर बनना नहीं हो पाता है। जिसमें सर्जरी के दौरान इस समस्या को ठीक किया जाता है। अगर इसके आंकड़ों की बात की जाए तो आजकल बच्चों में इस तरह की समस्याएं मैं कमी आई है क्योंकि पहले यह समस्याएं जेनेटिक, इनफेक्शियस और प्रॉपर डाइट नहीं होने की वजह से ज्यादा देखी जाती थी जो कि अब कम होती नजर आ रही है। अगर पीडियाट्रिक सर्जरी में इंप्रूवमेंट की बात की जाए तो पहले ऑपरेशन के दौरान कई बच्चों की जान चली जाती थी लेकिन अब सालों हो जाते हैं ऐसी कोई घटना सामने नहीं आती।
सवाल. क्या बच्चों में बड़ों के मुकाबले रिकवरी रेट ज्यादा होता है कैंसर में यह किस प्रकार सामने आता है
जवाब. बच्चों में बड़ों के मुकाबले रिकवरी रेट ज्यादा होता है वह बहुत जल्दी स्वस्थ होकर फिर से खेलकूद करना स्टार्ट कर देते हैं। कई बार मेजर सर्जरी के दौरान बच्चों को 4 से 5 दिन में भी डिस्चार्ज कर दिया जाता है। वहीं अगर बात बच्चों में होने वाले कैंसर की करी जाए तो यहां भी बच्चों में एडल्ट के मुकाबले ज्यादा रिकवरी होती है। अगर बच्चों में कैंसर के दौरान होने वाले लक्षणों की बात की जाए तो खाना पीना बंद कर देना, बुखार आना, उल्टी करना, बोलचाल बंद करना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। बच्चों में सही समय पर ट्रीटमेंट कर उन्हें फिर से एक हंसती खेलती जिंदगी दी जा सकती है जब हम बच्चों का ट्रीटमेंट करते हैं तो हम 10 या 20 साल की बात नहीं करते हम पूरे जीवन की बात करते हैं कि वह पूरे जीवन स्वस्थ रहें।
सवाल. पीडियाट्रिक सर्जरी क्या अन्य सर्जरी से अलग होती है, वही बच्चों में किस प्रकार की समस्याएं हो रही है
जवाब. पीडियाट्रिक सर्जरी अन्य सर्जरी से बिल्कुल अलग है यह बहुत ज्यादा कठिन और जटिल कार्य है इसमें 1 दिन के बच्चे की भी कई बार 5 से 6 घंटे तक सर्जरी की जाती है। बाई बर्थ बच्चों में कई प्रकार की समस्याएं पाई जाती है। वहीं कई बच्चों में आजकल मोटापे की समस्या बहुत ज्यादा देखी जा रही है इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन अगर इसके मुख्य कारण की बात करें तो हमारे खान-पान में फास्ट फूड और ऑइली फूड का शामिल होना है इसी के साथ आजकल हमारी लाइफ स्टाइल सिडेंट्री हो गई है इस वजह से खेल कूद और व्यायाम में काफी कमी आई है जिसके कारण बच्चों में मोटापा होता है और यह कई बीमारियों का को बढ़ावा देता है।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की है इसी के साथ मास्टर में एमएस की पढ़ाई भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से ही पूरी की है। इसके बाद मैंने एमसीएच और डीएनबी पीडियाट्रिक सर्जरी मैं स्पेशलाइजेशन किया है। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने देश और विदेश के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है जिसमें मैंने यूके के चिल्ड्रन हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है शहर आने के बाद मैंने चोइथराम हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी अब वर्तमान में मै शहर के कोरल हॉस्पिटल और डॉल्फिन हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। साथ ही में हॉस्पिटल में डायरेक्टर रूप के रूप में भी अपनी सेवाएं देता हूं।