विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ, नई दिल्ली व प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र का ‘साहित्य का विश्वरंग’ अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा आयोजन ऑनलाइन, सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वरंग के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि ‘साहित्य का विश्वरंग’ आयोजन में, अक्सर हम दुनिया के विभिन्न महाद्वीपों की सृजनात्मक अभिव्यक्तियों से रुबरू होकर, अलक्षित-अदेखे जीवन समाज की संस्कृति और साहित्य के रंग, ध्वनि, सौंदर्य और दृष्टि से परिचित होते हैं। इस दृष्टि से, यह आयोजन विभिन्न देशों के साहित्य एवं संस्कृतियों के बीच, एक पुल का काम कर रहा है।
इस आयोजन में, सरिता शर्मा ने केन्या के सहज जीवन की विभिन्न तहों, तौर तरीकों और सामाजिक परम्पराओं पर प्रकाश डाला। सुश्री लालाराम हरद्वारसिंह ने सूरीनाम में गिरमिटिया के इतिहास को रेखांकित किया और बताया कि हिंदी परिषद की स्थापना के माध्यम से यह प्रयास जारी है कि सूरीनाम में हिंदी जीवित रहे। भारतीय दूतावास की द्वितीय सचिव सुनीता पाहुजा ने कोविड काल के दौरान मॉरीशस पहुंचने और वहां चौदह दिनों के क्वारंटाइन काल का रोचक संस्मरण सुनाया। बताया कि मॉरीशस और भारत के बीच गर्भनाल का रिश्ता है। निर्मल जसवाल ने कनाडा के जीवन पर आधारित कहानी के अंश को पढ़कर सुनाया। साथ ही उन्होंने नर्सेज के जीवन की व्यथा को भी रेखांकित किया।
भारत से अजय कुमार शर्मा ने गुलजार और सिनेमा की बात करते हुए, कार गैरेज में काम करने वाले से सिनेमा के निदेशक और बालीवुड के चितेरे ‘गुलजार की दृष्टि और सिनेमा में उनके योगदान’ को विस्तारपूर्वक बताया। नीदरलैंड्स से ‘साहित्य का विश्वरंग’ आयोजन के संयोजक रामा तक्षक ने कहा कि आज गिरमिटिया प्रवासी दिवस के 150वें बरस के अवसर पर, भारतीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी को सूरीनाम के राष्ट्रपति श्री चन्द्रिका प्रसाद संतोखी ने विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। इस समय भारतीय डायसपोरा दुनिया भर में नम्बर एक पर है। इस तरह भारतीय प्रवासी रचनाकारों का दायरा बहुत बड़ा है। इस कारण उनके रचना संसार का दायित्व भी बहुत बढ़ जाता है। इस दायित्व निर्वाह से भारतीय भाषाओं के साहित्य को समृद्ध किया जा सकता है। इस आयोजन का संचालन अमेरिका से विनीता तिवारी ने और लक्जम्बर्ग से मनीष पाण्डेय ने तकनीकी संचालन किया।
रामा तक्षक, साझा संसार, नीदरलैंड्स।