IPL मैच के दौरान लोगों में लेटने और बैठने की बुरी आदतों के चलते गर्दन-कमर की स्लिप डिस्क की समस्या होती है उत्पन्न, कई बार नस दबने से बढ़ जाती है लकवे की संभावना, Dr Abhay Bhagwat Appolo Rajshree

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इंदौर। यह मेरे जीवन का निजी अनुभव रहा है कि आईपीएल के दौरान जब लगातार 40 से 50 दिन तक हम टीवी के सामने बैठकर या लेटकर मैच देखते हैं तो कई लोगों के बैठने का पोस्चर सही नहीं होता है इस वजह से कई लोगों को स्लिप डिस्क के संबंधित समस्या सामने आती है। लगातार 7 घंटे मैच देखने के दौरान लोग मोटे तकिए का इस्तेमाल, घंटों लेटकर, गर्दन को हाथ पर टिकाकर मैच देखते हैं। गलत अवस्था में बैठने और लेटने से गर्दन और कमर की स्लिप डिस्क की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। इसे अगर न्यूरोलॉजी की भाषा में समझे तो जब कमर या गर्दन की गद्दी पर ज्यादा प्रभाव पड़ने से डिस्क की गद्दी खीसकती है तो वह अपने आसपास वाली नसों को दबा देती है। जिस वजह से जो नस ब्लड मांसपेशियों को सप्लाई कर रही है उसका फंक्शन कम हो जाता है वही यह कम होने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। इस वजह से लकवा होने के चांस बढ़ जाते हैं कई बार पूरी गद्दी बाहर आने से चारों हाथ और पैर सुन्न हो जाते हैं। वही कई बार गर्दन की हड्डी की वजह से स्पाइनल कॉर्ड में उतरने वाली नस दब जाने से लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है। यह बात डॉ अभय भागवत न्यूरोलॉजिस्ट सर्जन ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं। वह शहर के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल अपोलो राजश्री में न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. वर्तमान में लकवे की समस्या किस उम्र तक देखने को मिल रही है, क्या हमारी बुरी आदतें इसका कारण है
जवाब. अगर वर्तमान दौर की बात की जाए तो पिछले एक दशक में लकवे के मरीजों में काफी इजाफा हुआ है और यह चिंता का विषय यह है कि यंग जनरेशन में भी लकवे की समस्या काफी हद तक देखने को मिल रही है। अगर यूं कहे तो कोविड के बाद से ही यह समस्या शुरू हो गई है।

वही लोगों में बिगड़ती लाइफस्टाइल के चलते स्पाइन से संबंधित समस्या भी बढ़ती जा रही है जिस वजह से नस दबने से न्यूरोलॉजिकल समस्या उत्पन्न हो रही है। अगर बात हमारी आदतों की करी जाए तो यह भी इन समस्याओं का कारण बनती हैं। कई लोग गाड़ी चलाते समय गर्दन को झुका कर कंधे पर मोबाइल रखकर बात करते हैं ऐसे में गर्दन की हड्डियों पर जोर पड़ता है इसी के साथ लेट कर मोबाइल, लैपटॉप चलाना एक अवस्था में लेटे रहना इन सब चीजों से भी सर्वाइकल डिस्क संबंधित समस्या उत्पन्न हो रही है। अगर बात इसकी बढ़त की करी जाए तो यह काफी यंग जनरेशन में देखने को मिल रही है। इस बिगड़ती जीवनशैली की वजह से हमारी ब्रेन को जाने वाली नस दबती है और यह आगे चलकर लकवे का एक कारण भी बन सकता है। मैंने अपने जीवन के अनुभव में एक चीज यह भी देखी है कि आमतौर पर 15 से 20 साल की उम्र में माइग्रेन शुरू होता है और 40 की उम्र तक कम हो जाता है लेकिन अब यह 50 साल तक के बुजुर्गों में भी लगातार जारी है।

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सवाल. लकवे की समस्या किस वजह से होती है, क्या अब इसके केस में कोई बदलाव और बढ़त देखने को मिल रही है
जवाब. अगर बात लकवे की करी जाए तो वर्तमान में इसके 20 साल तक के बच्चे भी हमारी ओपीडी में आ रहे हैं यह आंकड़े कोविड बाद बढ़ गए हैं। जिस तरह हार्ट अटैक की समस्या हार्ट को पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंचने पर आती है उसी प्रकार दिमाग को सही मात्रा में खून नहीं पहुंचने पर लकवे की समस्या आ जाती है।

इसे अगर मेडिकल टर्म में समझे तो लकवा दो प्रकार का होता है। एक होता है खून की धमनियों में रक्त का थक्का बन जाना इस वजह से ब्रेन को सही मात्रा में खून नहीं मिल पाता है। इसी के साथ 10 से 15% लोगों में हार्ट की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न होती है जिसमें हार्ट के वॉल्व का खराब होना, ब्लॉकेज, और खून का थक्का जब ब्रेन में जाता है तो यह ब्रेन में जाकर लकवे पैदा कर देता है। इसे कार्डियोएंबॉलिक स्ट्रोक कहा जाता है। इसका कारण आज हमारी बदलती जीवन शैली के चलते एक्सरसाइज का कम होना, ज्यादा तनाव, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्या और अनियमित और शुद्ध भोजन नहीं होने से इन सब समस्याओं को बढ़ावा मिल रहा है। पहले के मुकाबले अब लोगों में शराब अल्कोहल और अन्य धूम्रपान का लेवल बढ़ गया है। जो चीजें हार्ट अटैक की समस्या में कारण बनती है वही यह सारी चीजें ब्रेन मैं लकवे का भी एक कारण होती है।

सवाल. हमारी हड्डियों की डिस्क में किस प्रकार की समस्या आती है और इसकी वजह क्या है
जवाब. हमारे शरीर में मौजूद रीड की हड्डी में बहुत सारी छोटी-छोटी हड्डियां रहती है वही इन हड्डियों के बिच गद्दी रहती है जिसे स्लिप डिक्स कहा जाता है। यह गद्दी एक प्रकार से कुशन का काम करती है। हमारी हड्डियां बहुत कड़क होती है इसके बावजूद हड्डियों का मुड़ना, झुकना, लचीला होना यह सब इन गद्दी की वजह से संभव होता है। आमतौर पर काम करते-करते गर्दन को झुका कर फोन पर बात करना, लेट कर टीवी देखना, मोबाइल चलाना, इन सबकी वजह से इसका दबाव स्लिप डिस्क पर पड़ता है। इंसान जितना समय एक जगह बैठता है और खड़ा रहता है उतना ही दबाव कमर की हड्डी पर पड़ता है। हमारी बदलती लाइफस्टाइल के चलते हैं और व्यवसाय के कारण हम घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। इस वजह से कमर की स्लिप डिस्क की समस्या देखने को मिलती है। और आगे चलकर नस दबने से मस्तिष्क की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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सवाल. आजकल लोगों में सर दर्द की समस्या काफी बढ़ती नज़र आ रही है, क्या यह माइग्रेन के लक्षण है
जवाब. माइग्रेन कोई बीमारी नहीं है यह एक प्रकार का सर दर्द है। आमतौर पर इसका दर्द अचानक दिमाग के एक साइड होता है। जिसमें अचानक सर दर्द स्टार्ट हो जाता है और 4 से 5 घंटे तक बना रहता है। कभी कभार इसका दर्द पूरे दिन बना रहता है। इसका सीधा संबंध हमारी जीवनशैली से होता है। आमतौर पर यह देखने में आता है कि जो लोग पानी कम पीते हैं, खाना टाइम पर नहीं खाते हैं, जंक फूड का ज्यादा इस्तेमाल, ज्यादा चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक वहीं इसमें बराबर नींद नहीं लेना भी इसका एक मुख्य कारण है।

ज्यादातर लोग रात को देर रात तक जगना और सुबह लेट उठना इस बीमारी को बढ़ावा देता है। वही आलस्य और अन्य कारणों से व्यायाम और यह सब एक्टिविटी भी काफी कम हो गई है। आमतौर पर माइग्रेन की समस्या यंग एज में ही देखी जाती है और यह 30 से 40 साल तक की उम्र तक बना रहता है लेकिन आज के दौर में इसमें बड़ा बदलाव यह देखने को मिल रहा है कि यह बुजुर्गों में भी लंबे समय तक इसकी समस्या देखने को मिल रही है। माइग्रेन को अगर मेडिकल भाषा में समझा जाए तो दिमाग का जो निचला हिस्सा होता है उसमें मौजूद धमनियों में अचानक परिवर्तन आना स्टार्ट हो जाते हैं जिस वजह से दिमाग की धमनियां चौड़ी हो जाती है या फूल जाती है। इस वजह से अचानक दर्द की अनुभूति स्टार्ट हो जाती है। और व्यक्ति माइग्रेन का शिकार हो जाता हैं।

सवाल. इन समस्याओं से बचने के लिए क्या करना चाहिए
जवाब. जीतना आप नेचर के करीब रहेंगे उतने ही स्वस्थ रहेंगे। ज्यादा भागा दौड़ी से बचें अगर आप शरीर के साथ न्याय करेंगे तो शरीर आपके साथ न्याय करेगा।किसी बीमारी को पूर्णता खत्म करने की संभावना तो कम होती है लेकिन जब सही समय पर इसका ट्रीटमेंट लिया जाए तो इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। मैंने आमतौर पर यह देखा है कि हमारे देश में लोग किसी भी बीमारी को अनदेखा करते हैं यह जिस वजह से आगे चलकर और ज्यादा समस्या बढ़ जाती है सही समय पर इलाज किसी भी समस्या को खत्म करने में कारगर साबित होता है। पहले के मुकाबले न्यूरोलॉजी की टेक्नोलॉजी में काफी इंप्रूवमेंट हुआ है। वही इसके इलाज में भी काफी बदलाव और नवाचार हुआ हैं।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा कहां-कहां से हासिल की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद डीएम न्यूरोलॉजी मुंबई के केईएम कॉलेज से कंप्लीट किया। इसी के साथ नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल सिंगापुर से ट्रेनिंग की। मैं 3 साल तक अमेरिकन अकैडमी और यूरोपियन एकेडमी का मेंबर भी रहा और कई कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात मैंने हरकिशनदास हॉस्पिटल मुंबई, शहर के एमवायएच हॉस्पिटल,सीएचएल अपोलो और अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित अपोलो राजश्री हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।