राजस्थान में बीतें कई दिनों से लगातार डॉक्टरों द्वारा राइट टू हेल्थ को लेकर हड़ताल की जा रही थी। लेकिन कल देर रात राज्य सरकार तथा डॉक्टरों के बीच बातचीत हुई जिसके बाद अंततः सहमति बनी और राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।
सीएम गहलोत जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा- मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है। मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी। फिलहाल यह बिल विधानसभा से पारित हुआ है। विधानसभा से पारित होने के बाद यह बिल अब राज्यपाल के पास है। बिल राज्यपाल से मंजूरी के बाद एक्ट बन जाएगा। जिसके बाद इस बिल के नियम राज्य में लागू जाएंगे।
मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी।#RightToHealth
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 4, 2023
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हालांकि इस हेल्थ बिल को हेल्थ सेक्टर में क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है। सरकार की मानें तो बिल का मकसद प्रदेश के हर व्यक्ति को हेल्थ का अधिकार मुहैया कराना है। यानी किसी भी व्यक्ति को पैसे की वजह से इलाज के लिए परेशान न होना पड़े। वहीं 19 मार्च से ही मौटे तौर पर प्राइवेट डॉक्टर्स विरोध जता रहे थे। डॉक्टरों का कहना है इस बिल में इमरजेंसी शब्द को डिफाइन नहीं किया गया, जिसके बाद मरीज और डॉक्टर के लिए इमरजेंसी का मतलब अलग हो सकता है। इसके साथ ही कई और अन्य वजह के कारण ये धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। लेकिन देर रात डॉक्टरों और राज्य सरकार की आपसी सहमति के बाद इसे लागू कर दिया गया।