नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर किसान और सरकार के बीच विवाद पिछले कई महीनों से जारी है, इस आंदोलन में किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा हैं। इस आंदोलन के चलते देश में कई बार किसानो द्वारा केंद्र सरकार के विरोध में देश में कई स्थानों पर अलग अलग तरह से प्रदर्शन किया गया हैं, लेकिन 26 जनवरी को हुए ट्रेक्टर रैली में हिंसक प्रदर्शन के बाद इस आंदोलन का रुख ही बदल गया था। इसके बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने नए आंदोलन की घोषणा की है, जिसका नाम “रेल रोको आंदोलन” हैं।
कल यानि 18 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा ने इस आंदोलन का एलान किया है, गुरुवार के दिन देशभर में “रेल रोको आंदोलन” किया जायेगा, जो कि दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक जिसमे किसान देशभर की रेल रोकेंगे। बता दें कि इस रेल रोको आंदोलन की जानकारी देते हुए दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता मंजीत सिंह धनेर ने बताया कि जो किसान टिकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हैं, उनकी रेल रोकने की ड्यूटी नहीं है, इस आंदोलन में जो गांव के लोग हैं वो रेल रोकेंगे। इसके बाद जब किसान नेता से रेल रोको आंदोलन में जाने को लेकर सवाल पूछे गए तो उनका कहना है कि “किसान नेताओं को तो जाना चाहिए, बोलने के लिए नेता रेल रोको आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन रेल रोको आंदोलन में वहीं के लोग मौजूद रहेंगे जहां रेल रोकी जाएगी।
आंदोलन से बनेगा सरकार पर दबाव-
इसी के साथ किसान नेता ने कहा कि ‘पिछली बार जब 6 फरवरी को चक्का जाम किया गया था तब दिल्ली, UP और उत्तराखंड को छूट दी गई थी, लेकिन इस बार रेल रोको आंदोलन पूरे देश में चलाया जाएगा, इस बार किसानों के ‘रेल रोको आंदोलन’ से सरकार पर दबाव बनाया जायेगा और यही इसका मकसद भी है।