इंदौर। पहले सामान्य रूप से जो मानसून 15 जून तक आ जाता था, पीछले कुछ सालों में इसकी तारीख बढ़कर 25 जून तक चली गई है। इसका मुख्य कारण पेड़ो की कटाई और ग्लोबल वार्मिंग है। यह बात इंदौर मौसम वैज्ञानिक विवेक छलोत्रे ने कही। 23 मार्च यानी आज मौसम विज्ञान दिवस पर उन्होंने इंदौर स्थित केंद्र के कार्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, इंदौर मौसम विज्ञान कार्यालय एयरपोर्ट पर ही स्थित है, इस केंद्र पर मैनुअल ऑब्जरवेटरी और ऑटोमिक ऑब्जरवेटरी मौजूद है। यहां हर तीन घंटे के अंतराल में सिनोप्टिक ऑब्जर्वेशन लिया जाता है। जिसके तहत हवा की गति, दिशा, तापमान, आद्रता, ड्यू प्वाइंट, क्लाउड की स्थिति, ग्राउंड लेवल प्रेसर चेक किया जाता है। वहीं हर आधे घंटे में मेट्रोलॉजिकल टर्मिनल एरोड्रम रिपोर्ट विमान के सुरक्षित लैंडिंग के लिए लेकर एटीसी को भेजा जाता है। इंदौर में लगभग 50 साल पहले इस सेंटर की स्थापना हुई थी। यह भारत सरकार के पुराने विभागों में से एक है।
दो तरह से ऑब्जर्वेशन लिया जाता है। जिसमे मैनुअल और ऑटोमेटेड शामिल है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यहां दो तरह से ऑब्जर्वेशन लिया जाता है। जिसमे मैनुअल और ऑटोमेटेड शामिल है। मैनुअल तरीके से लिए जाने वाले इस ऑब्जर्वेशन में तापमान के लिए थर्मामीटर, विंड वेन, हवा की स्पीड के लिए एनिमोमिटर, ह्यूमिडिटी के लिए हाइग्रोग्राफ, टेंपरेचर के लिए थर्मोग्राफ, वर्षा के लिए रेन गेज और अन्य उपकरण लगाए गए है। इस सिनोप्टिक ऑब्जर्वेशन को सेंटर नागपुर भेजा जाता है। इसी के साथ इंदौर के आसपास का डाटा तहसील में लगे मौसम यंत्र से सीधा हेड ऑफिस चला जाता है। इसके बाद विभाग द्वारा मौसम की स्थिति को लेकर फोरकास्ट किया जाता है।
एयरोप्लेन के सुरक्षित संचालन के लिए मेट्रोलॉजिकल टर्मिनल एरोड्रम रिपोर्ट एटीसी को भेजी जाती है
इसी के साथ एयरोप्लेन के सुरक्षित संचालन के लिए मेट्रोलॉजिकल टर्मिनल एरोड्रम रिपोर्ट हर आधे घंटे के दौरान एटीसी को भेजी जाती है। जिसमें एयरपोर्ट पर लगे ऑटोमैटिक सेशन टावर से हवा की गति, आद्रता, लैंडिंग प्रेशर, मौसम, और अन्य चीजें प्लेन की लैंडिंग और टैकऑफ के लिए तैयार की जाती है। इसमें एयरपोर्ट के 10 किलोमीटर की स्थिति का आंकलन किया जाता है। इस बीच मौसम खराब होने पर स्पेशल रिपोर्ट भी एटीसी को भेजी जाती है एटीसी इस डाटा को पायलट को भेजता है। ताकि विमान को लैंडिंग और टैकआफ में कोई समस्या ना हो। सेंटर पर 4 मौसम वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी मौजूद रहते हैं। यह दफ्तर 24 घंटे 365 दिन कार्य करता है।