इंदौर: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी स्वछता के लिए विश्व विख्यात है. इस बार इंदौर में स्थित देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और राज्य सरकार की एक नई पहल से मध्यप्रदेश को एक ब्रांड बनाया जा रहा है. अब से मध्यप्रेदश सरकार ने यह तय किया है राज्य की सभी की औद्योगिक नीतिया अब भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की सलाह से ही की जाएगी. राज्य सरकार के इस निर्णय से मध्यप्रेदश जल्द ही एक बड़ा ब्रांड बनने में सफल हो सकेगा. इस नई शुरुआत के लिए राज्य सरकार और आईआईएम के बीच एमओयू साइन किया है जिसके तहत आईआईएम इंदौर न केवल इन्वेस्टर्स समिट का प्रारूप तैयार करेगा, बल्कि लघु उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम सुझाव भी देगा.
राज्य सरकार का यह निर्णय “आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” अभियान की दिशा में एक महात्वपूर्ण कदम होगा. राज्य सरकार अब से ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की दिशा में आगे बढ़ने और ब्रांड मध्यप्रदेश को स्थापित करने के लिए IIM की मदद और सुझाव दोनों लेगी. आने वाले समय में हर नई उद्योग नीति IIM के एक्सपर्ट की सलाह से ही तैयार की जाएगी. इसके लिए IIM और MPIDC के बीच एमओयू भी साइन किया गया है. इस एमओयू पर MPIDC के अध्यक्ष औरउद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने, IIM के डाइरेक्टर प्रोफेसर हिमांशु राय ने हस्ताक्षर किया है.
सरकार और IIM के बीच तीन साल के लिए एमओयू साइन किया है. इस दौरान आईआईएम के डायरेक्टर प्रो.हिमांशु राय ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत की भावना को जगाने के लिए मध्य प्रदेश को उद्योगों और व्यवसायों का समर्थन और पोषण करने वाले एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित करना जरूरी है. इसके लिए लघु उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.”
साथ ही उन्होंने बताया कि ‘इस एमओयू से उद्योगों को समर्थन और सहायता प्रदान करने वाले ढांचे को मजबूत किया जाएगा. ऐसे प्रयास होंगे जिससे व्यवसाय में आसानी होगी. मध्यप्रदेश की प्रगति और समृद्धि की अपार संभावनाएं बनेंगी.’
सरकार के इस नए कदम को लेकर उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने कहा कि “MPIDC राज्य में उद्योगों के सशक्तिकरण के प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के लक्ष्य की प्राप्ति हो सके इसके लिए आईआईएम इंदौर के साथ सहयोग महत्वपूर्ण कदम है. इस एमओयू का मकसद मध्यप्रदेश सरकार के वर्तमान औद्योगिक ढांचे पर नीतिगत शोध करना है.” साथ ही उन्होंने कहा है आगे से प्रदेश की मौजूदा औद्योगिक परियोजनाओं का आंकलन IIM करेगा, साथ ही प्रदेश में होने वाली ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट जैसे निवेश सम्मेलनों के आयोजन के लिए भी आईआईएम रुपरेखा तैयार करेगा.’