जनजाति वर्ग के उत्थान और युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर देने के लिए 50 लाख तक का ऋण देने का भगवान बिरसा मुंडा और टंटया मामा योजना में प्रावधान किया गया है। इसके लिए विशेष जागरूकता अभियान भी संचालित किया जा रहा है। आदिवासी युवाओं को रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भगवान बिरसा मुंडा और टंटया मामा के नाम से दो योजनाएं चलाई है जिसमें युवाओं को एक लाख से 50 लाख तक का ऋण मिलेगा और स्वयं के रोजगार के साथ दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करायेंगे।
जनजाति कार्य विभाग ने बताया कि भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना में आवेदक सेवा अथवा व्यवसाय के लिए एक लाख से 25 लाख तक ऋण ले सकेगा और निर्माण इकाई हेतु राशि एक लाख से 50 लाख तक का ऋण उपलब्ध होगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए 45 वर्ष तक के युवा को 8वीं पास होना जरूरी है। टंटया मामा आर्थिक कल्याण योजना का लाभ लेने के लिए 55 वर्ष तक के व्यक्ति को 10 हजार से एक लाख तक ऋण दिया जाएगा। दोनों योजना का लाभ लेने के लिए एम ऑनलाइन के स्मार्ट पोर्टल के माध्यम से आवेदन किए जा सकते है। जिला कार्यालय से इस संबंधी में विस्तृत जानकारी ली जा सकती है।