मध्य प्रदेश में एक बार फिर से खाद की किल्लत होने लगी है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिलें सीहोर में खाद लेने के लिए कतार में लगें किसान की मौत हो गई है। यह घटना बीते शुक्रवार की है। मृतक किसान के परिवार वालों का कहना है कि, जब वह घर से निकले थे तो कुछ भी नही खा के निकले थे। इसलिए उनकी मौत हुई है।
बता दें कि, इछावर विधानसभा इलाके के ग्राम रामाखेड़ी निवासी 62 वर्षीय किसान शिवनारायण मेवाड़ा की खाद मिलने से पहले जान चली गई। महज तीन एकड़ जमीन के मालिक किसान को ढाबला सोसायटी से खाद मिलना था।
मृतक किसान के बेटे ने कही ये बात
कुछ दिनों से किसान खाद के लिए बहुत ज्यादा परेशान था। लेकिन जब उनको शुक्रवार को खाद मिलने की जानकारी मिली। इसके बाद वह ढ़ाबला सोसायटी में खाद लेने पहुंचे। वह पर कतार बड़ी होने की वजह से वह लाइन में खड़े हो गए। मृतक किसान शिवनारायण के बेटे माखन सिंह मेवाड़ा ने बताया कि, पिता सुबह से खाद के लिए कतार में खड़े थे। शाम चार बजे तीन बोरी खाद के लिए पर्ची दी गई. पर्ची मिलने के बाद पिता खाद लेने जा रहे थे मगर उससे पहले ही मौत हो गई।
कृषि विभाग के उपसंचालक ने दी ये जानकारी
कृषि विभाग के उपसंचालक के के पांडे ने बताया कि, ढाबला समिति कार्यालय पर परमिट लेने के लिये 15 से 20 किसान मौजूद थे और गोदाम पर खाद लेने वालों की संख्या 5-10 थी. ढाबला समिति में 14 नवंबर 2022 को इफको यूरिया 25 मीट्रिक टन, 17 नवंबर 2022 को चम्बल 25 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया जा रहा था। समिति को पिछले वर्ष रबी सीजन में 93.600 मीट्रिक टन और इस बार रबी सीजन में आज तक 176.4 मीट्रिक टन यूरिया प्रदाय किया गया है।
Also Read : आतंकवाद घटनाओं को लेकर गृह मंत्री शाह ने दिया बड़ा बयान, दूसरे देशों को दी ये नसीहत
परिवार से मिली ये अहम जानकारी
शिवनारायण की मौत का कारण परिजनों ने भूख प्यास को बताया है। परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक, किसान सुबह घर से बिना कुछ खाए निकल गए थे। खाद की लंबी कतार होने की वजह से शाम हो गई. दिन भर भूख प्यास के कारण किसान शिवनारायण की जान चली गई। परिजनों का आरोप है कि महज तीन एकड़ जमीन के लिए मात्र तीन बोरी खाद मिल सका था। गौरतलब है कि जिले में खाद की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। एक-एक, दो-दो बोरी खाद के लिए किसान खासे परेशान हो रहे हैं।
शॉर्टकट रास्ते से हुई मौत
अब तक प्रशासन का कोई भी व्यक्ति मौके पर नहीं पहुंचा है। मैं मीडिया के माध्यम से मांग करता हूं कि पीड़ित परिवार को मुआवजे के रुप में पांच लाख रुपए दिए जाए। पीड़ित परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ढाबला सोसाइटी के मैनेजर शंकरलाल सेन ने बातचीत में बताया कि लाइन में लगने से मौत नहीं हुई। किसान खाद लेने जरूर आए थे। खाद की पर्ची भी दी जा चुकी थी। उनके अंगूठे के निशान भी कागज पर ले लिए गए थे। मृतक किसान शॉर्टकट रास्ते से गोदाम पर खाद लेने जा रहे थे. रास्ते में ठोकर लगने से गिरने के कारण किसान की मौत हुई है।