कार्तिक मास की पूर्णिमा पर मंगलवार, 8 नवंबर की दोपहर से चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो भारत में शाम 5.40 से दिखाई पड़ेगा. इससे पहले कार्तिक अमावस्या पर सूर्य ग्रहण था और अब पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है. यूं तो चंद्र ग्रहण वैज्ञानिक रूप से एक अद्भुत खगोलीय घटना माना जाता है, लेकिन इसका अपना धार्मिक महत्व भी होता है. लिहाजा ग्रहण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ नहीं होती. मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. यह परंपरा आज भी निभाई जाएगी.
इस कारण से मंगलवार को महाकालेश्वर मंदिर में ग्रहण के मोक्ष के बाद शुद्धिकरण किया जाएगा और फिर भगवान की संध्या आरती होगी. बताया जा रहा है कि यह चंद्र ग्रहण खग्रास है, लेकिन अपने यहां खग्रास नहीं दिखाई देगा. यहां ग्रहण लगा हुआ चंद्रमा ही उदित होगा.
ग्रहण मोक्ष होने के बाद होगी बाबा की संध्या आरती
खग्रास चंद्र ग्रहण होने की वजह से संध्या के समय महाकाल मंदिर के गर्भगृह में किसी को प्रवेश नहीं मिलेगा. क्योंकि ग्रहण के दौरान भगवान का स्पर्श नहीं किया जाता है. जब सुबह 11.00 बजे भगवान की आरती की जाएगी, उस दौरान भी वेध लगा रहेगा. वहीं, ग्रहण काल समाप्त होने के बाद पूरे मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा और फिर श्री महाकालेश्वर भगवान को भोग लगाया जाएगा. इसके बाद संध्या पूजन होगा.
मंगलवार 8 नवंबर की सुबह से ही सूतक काल शुरू हो रहा है, जिसकी वजह से मंगलनाथ और अंगारेश्वर मंदिरों में भात पूजा नहीं की जाएगी. इस दौरान श्री मंगलनाथ मंदिर और श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश वर्जित होगा और पूजन भी प्रतिबंधित रहेगा. गौरतलब है कि आज सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आएंगे. भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत दोपहर 2.39 से हो जाएगी और यह अपनी पूर्ण अवस्था में दोपहर 3.46 से शुरू होगी. शाम 5.12 पर चंद्र ग्रहण पूर्ण अवस्था में आ जाएगा और शाम 6.12 पर समाप्त होगा.