अलविदा सीमांत जी

Akanksha
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जयदीप कर्णिक की कलम से

काम की व्यस्तता में वेबदुनिया के पुराने साथी लोकेश भटनागर के एक व्हाट्स एप संदेश पर निगाह गई और दिमाग सन्न रह गया!! लिखा था – सीमांत सुवीर जी नहीं रहे। मैं बुरी तरह हिल गया। वेबदुनिया के कुछ साथियों को फोन किया इस उम्मीद में कि शायद खबर गलत हो!! ……. पर ऐसी उम्मीदें पूरी कहाँ होती हैं…!! पता चला सीमांतजी पिछले 15 दिनों से बीमार चल रहे थे और आज सुबह अचानक अलविदा कह कर चले गए!!

सीमांत सुवीर के साथ बहुत लंबा साथ रहा। अखबार के एक खांटी खेल पत्रकार के लिए डिजिटल में आना और उसे अपना लेना आसान नहीं था। शुरुआत में अखबार की खबरें डिजिटल पर लेने और वेबदुनिया पर चलने वाली क्रिकेट की लाइव कॉमेंट्री को अच्छे से निभाने के बाद वो वेबदुनिया में रात पाली की पहचान से बन गए थे। रात की खबरों के लिए उनसे होने वाली चर्चा, बहस और नोंक-झोंक सब ज़ेहन में ताज़ा होकर घूम रही है। साथी उन्हें अक्सर ‘ताऊजी’ कह कर बुलाते थे! बहुत किस्से हैं इसके इर्द-गिर्द।

ये मेरी गलती रही कि इस बीच मैं उनसे संपर्क नहीं रख पाया और आज वो खुद खबर बन गए। बेलौस, ज़िंदादिल और दिल के साफ सीमांत जी – उन्हें जानने वाले इसी रूप में उन्हें याद करते रहेंगे।

बहुत ही दुःखद। मन विचलित है। मेरी विनम्र श्रध्दांजलि।