पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर पांच सितंबर को देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है शिक्षक दिवस पर देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. सीहोर जिले के सरकारी स्कूल में तैनात नेत्रहीन शिक्षक की कहानी संघर्ष और बुलंद इरादे की मिसाल है. नसरुल्लागंज के ग्राम सिंहपुर प्राथमिक शासकीय स्कूल में नेत्रहीन शिक्षक हरिओम जैमनी पिछले चार साल से बच्चो को इस स्कूल में पढ़ने आते हैं. जन्म से नेत्रहीन शिक्षक बच्चों को शिक्षा का उजाला दिखा रहे हैं. बिना ब्रेल लिपि की मदद से वे बच्चों को सामाजिक विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं. सिंहपुर प्राथमिक शासकीय स्कूल के छात्र हर साल पांचवीं बोर्ड परीक्षा में 80-90 प्रतिशत तक अंक लाते हैं.
जन्म से नेत्रहीन है शिक्षक
शिक्षक हरिओम जैमनी ने स्कूल के माहौल उत्तम शिक्षा के रंग में रंग दिया है, स्कूल आने के बाद बच्चे नियमित प्रार्थना, व्यायाम, पढ़ाई और बागवानी की शिक्षा भी दी जाती है. जैमनी के प्रयास से स्कूल सुंदर और आकर्षक नजर आता है. स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षक महेश बताते हैं कि हरिओम जैमनी सर बच्चों को हर विषय बहुत आसानी से पढ़ा लेते हैं और मोबाइल भी चला लेते हैं.
साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी के लेटर और जन शिक्षा केंद्र से ग्रुप में आई जानकारी को समझ भी लेते हैं. हरिओम जैमनी ने बताया कि शुरुआत से ही घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई ब्लाइंड स्कूल में की. 12वीं की पढ़ाई को एनजीओ की मदद से छात्रावास में रहते हुए भोपाल के सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय से पूरा किया.
Also Read – कच्चे तेल के भाव में बढ़त, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर जानें लेटेस्ट अपडेट
हरिओम जैमनी ने बतया की उनका शुरू से ही शिक्षक बनने का सपना था. राजनीतिक विज्ञान से एमए पास करने के बाद दिव्यांग कोटे में शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर उन्होंने यह नौकरी हासिल की. शिक्षक हरिओम के स्कूल में पहली से आठवीं तक करीब डेढ़ सौ से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और माध्यमिक में 120 बच्चे हैं.स्कूल आने के लिए रोजाना 18 किलोमीटर दूर का सफर बस से तय करते हैं. एक ऑटो चालक बस से उतरने और चढ़ने में मदद करता है. घर पर किसी का सहारा लिए बिना खुद ही काम भी करते हैं. हरिओम जैमिनी आज खुद अंधेरे में हैं लेकिन स्कूली बच्चों के जीवन में उजाला भरने का काम रहे हैं.