मध्य प्रदेश में होने वाले महापौर, नगर पालिका व नगर परिषदों के अध्यक्ष के लिए भी आरक्षण शुरू हो गई है। यह प्रतिक्रिया इंदौर के वींद्र भवन में नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त की मौजूदगी में संपन्न होगी। इसमें शामिल होने के लिए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को निमंत्रित किया गया है।
प्रदेश के 16 महापौर पद के लिए आरक्षण परिक्रिया शुरू हो गई है। जिसमें ओबीसी महिला के लिए भोपाल और खंडवा आरक्षित हुआ है, ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर और कटनी में सामान्य महिला महापौर बनेंगी। और इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरौली महापौर का पद अनारक्षित हो गया है।
आबादी के अनुसार होता है आरक्षण
नगर निगम में महापौर पद के लिए आरक्षण अजा, अजजा की आबादी के अनुसार होता है। जबकि ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत होता है। ओबीसी आरक्षण का नियम है कि पिछले बार को निगम आरक्षित होते है वो इस बार अनारक्षित हो जाता है। इस बार भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो रहा है। याने जनसंख्या का अनुपात पिछले आरक्षण यानी 2014 जैसा ही होगा।
50% महिला आरक्षण बाय रोटेशन
मध्य प्रदेश में नगर निकाय में 50 प्रतिशत बाय रोटेशन महिला आरक्षण का होता है। बाय रोटेशन का यानी जो पद पिछली बार महिलाओं के लिए आरक्षित हुए थे इस बार वो अनारक्षित होंगे। इसका आशय है कि पिछले बार के अनारक्षित नगर निगम इस बार महिला वर्ग के लिए आरक्षित होंगे।
वोट बैंक
माना जाता है कि की प्रदेश के ग्रामीण इलाके में कांग्रेस की पकड़ अच्छी है। लेकिन शहरी वोट बैंक बीजेपी की तरफ रहता है। ऐसे में सरकार मेयर का चुनाव सीधे कराना चाहती है, जिसके लोग पार्टी नहीं चेहरा देख कर वोट दे ,लेकिन कांग्रेस पार्टी पार्षदों के जरिए चुनना चाहती थी। लेकिन शिवराज सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया।