नई दिल्ली। देश में नए कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन में अब कई पार्टिया और अंतरास्ट्रीय खिलाडी अभी अब समर्थन कर रहे है। जिसके चलते रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, CPIM महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किसान संगठन की तरफ से 8 दिसंबर को भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया है। साथ ही प्रदर्शनकारियों की जायज मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र पर दबाव भी डाला है।
बता दे कि, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की कई सीमाओं पर हजारों किसान डटे हैं। वही आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि, मंगलवार को पूरी ताकत के साथ देशव्यापी बंद कराया जाएगा।
वही, बयान में कहा गया है कि, “हम राजनीतिक दलों के नेता देश भर से विभिन्न किसान संगठनों द्वारा जारी संघर्ष में उनके साथ हैं और 8 दिसंबर को भारत बंद के आह्वान पर उनका समर्थन करते हुए इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं।” साथ ही कई विपक्षी नेताओं ने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
हस्ताक्षर करने वालों में RJD के तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, CPIM महासचिव डी राजा, CPIML के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, एआईएफबी के महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं। वही, बयान में आरोप लगाया गया है कि, संसद में बिना किसी चर्चा और बिना वोटिंग के लोकतांत्रिक विरोधी तरीके से इन कानूनों को पास किया गया था। ये कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं और खेती, किसानों और MSP व्यवस्था को खत्म कर देंगे।
साथ ही विपक्षी नेताओं ने कहा कि, “केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और मानदंडों का पालन करना चाहिए और हमारे किसान-अन्नदाता की जायज मांगों को पूरा करना चाहिए।”